विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र चुनेगा “भारत का भाग्यविधाता”…

JANMAT VICHAR

जनमत विचार (जनमत) :- भारत की राजनीती में सबसे ख़ास बात यह है, की यहाँ की अभी तक जिन सरकारों ने सत्ता का स्वाद चखा है, उनमे कुछ परिवार विशेष को ही सत्ता और पावर का सुख नसीब हुआ है. जहाँ देश की आजादी के बाद से ही राजनीती में कांग्रेस का भारी दबदबा रहा है वहीँ दूसरी ओर २ सांसदों की पार्टी भाजपा ने भी कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका और केंद्र के साथ साथ देश के अधिकाँश राज्यों में भी भाजपा ने भगवा परचम लहरा दिया है.

वर्ष 2014 में जहाँ देश में मोदी लहर के आगे कांग्रेस चारो खाने चित्त हो गयी वहीँ कई राज्यों में भी कांग्रेस के “हाथ” से सत्ता धीरे धीरे फिसलती चली गयी. दूसरी ओर सत्ता से विमुख होने के चलते कांग्रेस का जनाधार भी खिसकता चला गया और देश की राजनीती में कांग्रेस अपरिहार्य दिखने लगी थी, लेकिन अभी हालिया चुनावो में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने अपनी सरकारे बनाई वहीँ इसी के चलते कांग्रेस को संजीवनी नसीब हुई वहीँ अब  राहुल गाँधी का कलेवर भी बदला सा नज़र आ रहा है. दूसरी ओर कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री हो गयी है. जिसके चलते भाजपा की भौंहे भी चढ़ गयी हैं.

सबसे ख़ास बात यह हैं की आगामी लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नसीब होता नज़र नहीं आ रहा है. जिससे एक बार फिर क्षेत्रीय दलों को मौका मिल गया है की वो एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका निभातें नजर आ रहें हैं. इस बार का चुनाव बेहद ख़ास होने वाला है.चुकी लोकसभा चुनावों में जहाँ प्रधानमंत्री मोदी के किया गए “विकास” की सार्थकता को साबित करना है, वहीँ दूसरी ओर कांग्रेस में राहुल गांधी के लिए यह चुनाव करों या मरो की स्थिति को भी प्रकट करता है. इसी के साथ ही देश के क्षेत्रीय दल जो अभी तक कुछ समय के लिए देश की राजनीती से शायद किनारे हो गएँ थे, उन्हें भी अपनी मौजूदगी ज़रूर दर्ज करनी पड़ेगी.

वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव में जहाँ भाजपा सत्ता को बचाती हुई नज़र आएगी वहीँ कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा पर बेहद हमलावर रहेगी. वहीँ उत्तर प्रदेश की राजनीती में “बुआ और बबुआ”  के गठबंधन को भी इस लोकसभा चुनाव में  दरकिनार नहीं किया जा सकेगा और हो सकता है की यह गठबंधन से सत्ता के ताले की चाभी के रूप में उभेरते हुए भी नज़र आएंगे. कुल मिलाकर  यह कहा जा सकता है की  सत्ता का सुख सभी को चाहिए यहाँ तक की अब जो  क्षेत्रीय दल दिल्ली को साधने में लगे थे वो अब दिल्ली की गद्दी पर बैठने के लिए आतुर नज़र आ रहें हैं. हालाँकि यह तो देश की जनता ही तय करेगी की देश की सत्ता पर  किसे काबिज करे.

अब देखना यह होगा की जनता देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री देगी जो नरेन्द्र मोदी के रूप में अनुभवी होगा या फिर राहुल गांधी के रूप में एक युवा होगा…. या फिर कोई ऐसा होगा जिसके नाम की परिकल्पना भी शायद अभी तक हमारे जेहन में  ना हो. हालाँकि  इतना तो तय है की यह लोकसभा चुनाव बेहद रोमांचक होने वाला है और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के इस उत्सव में  मतदान के द्वारा हम और आप भी भाग लेंगे.

अंकुश पाल

janamtankush@gmail.com