पाकिस्तानियों को डराने के लिए एक नाम ही काफी है

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व्यक्त्ति-विशेष (जनमत) :- हमारे देश में ऐसे कई जाबांज हुएं हैं जो पर्दे के पीछे रहतें हुए भारत माता की सुरक्षा के लिए हर पल तैयार रहेंते हैं भले ही देश के लिए इनका नाम अनजान हों लेकिन देश की सुरक्षा का जिम्मा इन्ही के कंधो पर बना रहता है| जहाँ देश की सुरक्षा केवल बॉर्डर पर सैनिकों को तैनात करने से नहीं होती, बल्कि कुछ ऐसे समर्पित देशभक्तों की जरूरत होती है, जो देश के लिए गुमनामी जिंदगी बिताते हुए दुश्मन के बीच में रहकर सेना को जानकारियाँ उपलब्ध कराये। जिससे  देश के दुश्मनों का जड़ से खात्मा किया जा सके।

इन्हीं देशभक्तों में अजित डोभाल का बड़ा नाम है, वही उन्होंने अपनी जिंदगी के 40 वर्ष देश की सुरक्षा के लिए गुमनामी में बिताए और कई बार आतंकी अटैक से अपने देश को बचाए, और आज देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर काम करते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सफल सर्जिकल स्ट्राइक कर दुश्मन देश की रातों की नींद और दिन की चैन उड़ा चुके है। दुश्मन देश उनके तेज तर्रार काम करने के तरीके को अच्छी तरह से जानता है, इसलिए केवल अजित डोभाल के नाम से ही दुश्मन दल में खलबली मच जाती है। अजित डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौरी गढ़वाल के गढ़वाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इंडियन आर्मी मेन थे, इसलिए उनकी शुरुआती शिक्षण अजमेर मिलिटरी स्कूल में हुई। 1967 में उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पहली पोजीशन के साथ मास्टर की डिग्री प्राप्त की।

इसके बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए, जिस उन्होंने 1968 में केरल केडर से कम्पीट किया और पुलिस अफसर बन गए। इसके चार साल बाद वे 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए। यहीं से उनके जीवन का नया रूप जो एक जासूस के रूप में प्रारंभ हुआ। जो  मैडल  किसी  भी आईपीएस  अफसर को  17  वर्ष  बाद  दिया  जाता  है  वो  मैडल  आपने  सेवा  के  सिर्फ  6  वर्षों में  ही  पा  लिया  था। वही वो 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। भारतीय सेना द्वारा म्यनमार में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए डाभोल ने भारत के शत्रुओं को सीधा और साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत आक्रामक-रक्षात्मक रवैया अख्तियार कर चुका है।

मिजोरम शांति

जिसे उन्होंने बखूवी निभाते हुए 1980 में मिजोरम में उग्रवाद फैलाने वाले मिज़ो नेशनल फ्रंट के सात में से 6 कमांडर को अपनी बुद्धिमानी से अपनी ओर मिलाने में  सफल रहे, जिससे मिज़ो नेशनल फ्रंट की कमर टूट गई। इसके बाद मिजोरम में शांति स्थापित हुई।

स्वर्ण मंदिर पर आतंकी हमला

इसी तरह वे अपनी जासूसी उत्तरदायित्व को निभाते हुए 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले का बदला लेने के नियत से भारतीय सेना द्वारा चलाये जा रहे काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत कार्य करते हुए एक रिक्शाचालक के  रूप में मंदिर के अंदर गए और खलिस्तानियों की हर जानकारी इंडियन आर्मी को दी। जिससे इंडियन आर्मी को खलिस्तानियों को मारने में कोई परेशानी नहीं हुई और यह ऑपरेशन सफल रहा। पाकिस्तान को उल्लू बनाया – जिसका सबूत उनकी इस घटना से मिलता है जब उन्होंने एक मुस्लिम के रूप में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करते हुए पाकिस्तान में सात वर्ष बिताए। इस दौरान उनपर किसी ने शक तक नहीं किया। पंजाब और जम्मू कश्मीर शांति – उन्होंने अपनी जासूसी सेवाएँ जम्मू-कश्मीर और पंजाब के शांति के लिए भी दी, जिस दौरान उन्होंने गुमनामी के कुल 33 वर्ष बिताए। कहा जाता है, उन्होंने अपनी सेवायों के दौरान मात्र सात वर्ष तक ही पुलिस की वर्दी पहनी। यह बात यहीं दर्शाता है कि उन्होंने किस तरह देश के प्रति समर्पण भाव से जासूसी करते हुए गुमनामी के लंबा पल बिताए|

पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक

29 सितंबर 2016 की रात को वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सफल सर्जिकल स्ट्राइक ऑपेरेशन कर राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत बनाये हुए है और इनकी मौजूदगी किसी भी ऑपेरेशन की सफलता के लिए काफ़ी हैं| जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।

अजित डोभाल ने अपने तेज तर्रार और गौरवमयी सरकारी कैरियर के दौरान पुलिस मेडल और देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मानीय अवार्ड कीर्ति चक्र प्राप्त कर चुके है। इस सम्मान को पाने वाले वे पहले पुलिस ऑफिसर है। डाभोल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगते हैं।

अमिताभ चौबे
chaubeyamitabh0@gmail.com