सादगी की मिसाल- मनोहर पर्रिकर ने दुनिया से कहा “अलविदा”

व्यक्त्ति-विशेष

व्यक्ति विशेष (जनमत) : देश में ऐसे कई नेता हुएं हैं जिनकी सादगी की कसम खाई जा सकती है, इसी कड़ी में नाम आता है गोवा के मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का जिनका लंबी बीमारी के चलते  63 साल की उम्र में निधन हो गया.  आपको बता दे की मनोहर पर्रिकर अग्नाशय कैंसर से पीड़ित थे और इलाज करने के बाद न सिर्फ वो अपना काम कर रहें थे बल्कि बखूबी जनता से जुड़े मुद्दों को भी सुलझा रहें थे, वहीँ उनके निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. वहीँ उनके निधन के बाद गृह मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गयी कि राष्ट्रीय राजधानी, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य की राजधानियों में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा.

वहीँ पर्रिकर के निधन के बाद गोवा में 18 से 24 मार्च तक 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है जिसके दौरान पूरे गोवा में राष्ट्रीयध्वज आधा झुका रहेगा. पर्रिकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीँ इससे पहले तक पणजी के बीजेपी ऑफिस में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. वहीँ देश के प्रधानमंत्री से लेकर सदी के महानायक अमिताभ ने भी मनोहर पर्रिकर के प्रति अपने भाव स्पष्ट किये  और ट्विट किया कि मनोहर पर्रिकर सीएम गोवा का निधन हो गया, वह एक जेंटलमैन थे, आचरण में सरल और सबसे सम्‍मानित थे.. उनके साथ मैंने कुछ क्षण बिताए हैं.. बहुत ही गरिमापूर्ण.. उन्‍होंने अपनी बीमारी का बहादुरी से मुकाबला किया.. प्रार्थना और संवेदना। 

फूल तोड़ने पर लगाया था “खुद पर जुर्माना”-

आपको बता दे कि वह ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जो आईआईटी से पढ़कर निकले थे। आईआईटी बॉम्बे में वह मेस सेक्रटरी थे। वहीँ उनके दोस्त बताते हैं कि वह छात्रों और मेस वर्कर्स के साथ बेहद कड़ाई से पेश आते थे। हॉस्टल में उनके एक जूनियर और दोस्त ने बताया की एक बार उन्होंने खुद पर ही जुर्माना लगा लिया था। पर्रिकर अकाउंट्स को लेकर बेहद सख्त थे। वह हिसाब सफाई से रखते थे। उनका एक ही मकसद था कि छात्रों के लिए बिल को कैसे कम किया जाए। वर्ष 1978 में वह कॉलेज पहुंचे थे तब पर्रिकर ने उन्हें रैगिंग से बचाया था और तभी दोनों में दोस्ती हो गई थी। देसाई बताते हैं कि पर्रिकर नियमों को लेकर इतने सख्त थे कि एक बार उनके रिश्तेदार ने परिसर से फूल तोड़ा तो पर्रिकर ने खुद पर ही फाइन लगा लिया था। 

पूरे होस्टल के लिए बनाया “खाना”-

अभी कुछ समय पहले ही आईआईटी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए पर्रिकर ने अपने हॉस्टल के दिन याद किए थे। ‘मेस वर्कर्स ने एक दिन लंच टाइम में हड़ताल पर जाने का फैसला किया। एक बार पर्रिकर ने मेस वर्कर्स को अपनी लुंगी में आलू, प्याज और टमाटर चुराकर ले जाते हुए पकड़ लिया था।  पर्रिकर उस वक्त 40 लड़कों के साथ मेस में पहुंचे और पूरे हॉस्टल के लिए खाना बनाया। वह दुनिया का सबसे अच्छा खाना था। उस घटना के बाद वर्कर्स काम पर लौट आए थे।  देसाई बताते हैं कि गोवा का मुख्यमंत्री रहते हुए भी पर्रिकर बेहद सादा जीवन जीते थे।

जब गार्ड ने मुख्यमंत्री मानने से किया “इनकार”-

एक बार बताया था कि 2002 में उन्हें एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था क्योंकि उनके पास टिकट नहीं था। उनका टिकट प्रोटोकॉल ऑफिसर के पास था जो टिकट काउंटर पर था लेकिन सिक्यॉरिटी गार्ड ने उन्हें रोका और यह मानने से इनकार कर दिया कि वह गोवा के सीएम हैं। गार्ड ने अपने सीनियर्स को बताया था कि पर्रिकर रिक्शे से आए थे और अपना सामान खुद ही ले जा रहे थे। इस वजह से गर्द को इस बात का विशवास ही नहीं हो पाया की वो एक सीएम को रोक रहा है. बोलने तक में परेशानी थी, लेकिन उनका स्वर बुलंद रहा। कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लोगों से ‘हाऊज द जोश’ पूछा तो हर कोई बोल पड़ा, हाई सर। उन्होंने कहा कि मैं अपना जोश आप लोगों में ट्रांसफर करता हूं।

वहीँ जब इन्हें देश का रक्षा मंत्री बनाया गया था तब गोवा के लोगो के आंसूओं से पल्लवित होकर देश की सेवा के लिए ही इन्होने गोवा को अलविदा कहा था. सादगी से भरे और ताउम्र लोगो की सेवा करने की भावना से काम करने वाले सीएम मनोहर पर्रीकर को देश इतनी आसानी से नहीं भुलायेगा… हमारी तरफ से देश के पूर्व  रक्षामंत्री और “सादा जीवन उच्च विचार” की शैली अपनाने वाले “पर्रिकर जी”  को ह्रदय से नमन !!!!!!

अंकुश पाल

janmatankush@gmail.com