केंद्रीय मंत्री होने के नाते मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुलेआम नहीं बोल सकती- स्मृति ईरानी

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सबरीमाला / स्मृति ने कहा- जब भीगा सैनेटरी पैड लेकर किसी के घर नहीं जाते तो क्या मंदिर में जाएंगे

मुंबई (जनमत). सबरीमाला पर जारी विरोध और विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पूजा करने का अधिकार सभी को है, लेकिन अपमान करने का नहीं। स्मृति ने मुंबई में ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन की ‘यंग थिंकर्स’ कॉन्फ्रेंस में बोल रही थीं।

स्मृति ने कहा- ये सीधा-सा कॉमन सेंस है। क्या आप माहवारी के ब्लड में भीगा सैनेटरी पैड लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगे? आप ऐसा नहीं करेंगे। और आपको लगता है कि आप मंदिर जाते वक्त ऐसा करेंगे तो ये सम्मानजनक होगा? यही फर्क है और यह मेरी निजी राय है। हालांकि, स्मृति ने आगे कहा कि वे केंद्रीय मंत्री हैं और सबरीमाला में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुलेआम नहीं बोल सकती हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर आयुवर्ग की महिला केरल के सबरीमाला मंदिर में दर्शन कर सकती है
  • 17 से 22 अक्टूबर तक सबरीमाला मंदिर मासिक पूजा के लिए खोला गया था, लेकिन एक भी महिला दर्शन नहीं कर सकी

मैं हिंदू, जिसकी शादी पारसी से हुई- स्मृति
कॉन्फ्रेंस में स्मृति से सबरीमाला में हुए प्रदर्शन पर सवाल किया गया। स्मृति ने कहा- ‘‘मैं एक हिंदू हूं, जिसका विवाह एक पारसी से हुआ है। मैंने ये तय किया है कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म का पालन करें। मेरे दोनों बच्चों ने अपना नवजोत (पारसी अनुष्ठान) किया है। जब मैं अपने नवजात बच्चे को अंधेरी स्थित सूर्य मंदिर लेकर गई, तब मुझे अपने बच्चे को अपने पति को सौंपना पड़ा। मुझसे वहां से हटने को कहा गया। मैं कार में बैठकर इंतजार करती रही।’’ स्मृति के पति जुबिन ईरानी पारसी हैं। वे दिल्ली के व्यवसायी थे और अब मुंबई शिफ्ट हो चुके हैं। उनके बेटे का नाम जौहर और बेटी का नाम जोइश है।

6 दिन में सबरीमाला में कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी
सबरीमाला मंदिर 17 अक्टूबर को खोला गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में 10 से 50 साल की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए और ये हिंसक भी हो उठे थे। चार महिलाओं समेत केरल की एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। लेकिन, विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा।

ब्रह्मचारी माने जाते हैं भगवान अयप्पा
12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। माना जाता है कि वे ब्रह्मचारी हैं। ऐसे में यहां पीरियड की उम्र (10 से 50 साल) वाली महिलाओं का प्रवेश 800 साल से प्रतिबंधित था। सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है।