आखिरकार “बुआ” को मिल ही गया “भतीजे” का साथ…

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लखनऊ (जनमत) :- राजनीती में कब क्या हो जाये यह कभी नहीं कहा जा सकता है, हाँ पर इतना ज़रूर है की राजनीती में कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता है, वहीँ  कभी एक दूसरे के भीषण विरोधी रहें सपा – बसपा ने समय की बयार को भांपते हुए हाथ मिलाने का निर्णय लिया है हालाँकि इस मिलन में “हाथ” का साथ नहीं है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने करीब 25 साल बाद एक बार फिर साथ आने का ऐतिहासिक ऐलान कर दिया।

एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसपी मुखिया मायावती ने इसका ऐलान किया। वहीँ इसके साथ ही लोकसभा सीटों में से 38-38 पर एसपी-बीएसपी चुनाव लड़ेंगी।हालाँकि की सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा कई दिनों से चल रही थी की यह गठबंधन होगा. वहीँ इस गठबंधन में भले ही कांग्रेस पार्टी को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन गांधी परिवार के परंपरागत गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन उम्मीदवार नहीं  उतारने का निर्णय भी लिया गया है । मायावती ने कहा कि बाकी 2 सीटें अन्य दलों के लिए रखा गया है।