पूर्व की बसपा सरकार में दलितों का सबसे ज्यादा हुआ उत्पीड़न

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लखनऊ(जनमत).जिस तरह लोगो के द्वारा एससी/ एसटी एक्ट के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है वह पूरी तरह से गलत है। इस अधिनियम का कही भी दुरूपयोग नहीं हुआ है बल्कि जिसने इसका दुरूपयोग करने की कोशिश की है उसके खिलाफ भी कारवाई की गई है। यह बाते लखनऊ में अनुसूचित जाति – जनजाति आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। साथ ही ब्रजलाल ने यह भी कहा कि पूर्व की बहुजन समाज पार्टी की सरकार में दलितों का न सिर्फ उत्पीड़न हुआ बल्कि आयोग के स्वरुप के साथ छेड़छाड़ की गई जिसका फायदा अखिलेश सरकार को मिला।

अनुसूचित जाति – अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने लखनऊ में इंदिराभवन में एक प्रेस वार्ता की। मुद्दा था कि बृजलाल के कार्यकाल के दौरान आयोग में  एससी/ एसटी अधिनियम के कितने मामले दर्ज हुए और कितनो में उनके हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई हुई। आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने बताया कि उनके 5 महीने के कार्यकाल के दौरान आयोग में  एससी/ एसटी के उत्पीड़न से जुडी कुल 1665 मामले आये, इसके अलावा पहले से 757 मामले लंबित चल रहे थे। आयोग के अध्यक्ष के द्वारा 2422 मामलो का परिक्षण किया गया जिसमे से 1149 मामले उत्पीड़न के, 466 राजस्व के और 229 विभागीय मामले थे। आयोग के अध्यक्ष बृजलालन ने बताया कि उनके द्वारा 1844 मामलो का निस्तारण किया गया। इस दौरान  एससी/ एसटी एक्ट से जुडी कई मामले फर्जी थे। फर्जी मामला दर्ज कराने वालो के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। एससी/ एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि बहुत से मामले में जब थाना स्तर पर पीड़ितों को न्याय नहीं मिला तो कोर्ट के माध्यम से भी  एससी/ एसटी एक्ट के मुकदमे दर्ज हुए। अधिनियम के दुरूपयोग करने के सवाल पर बृजलाल ने कहा कि आईपीसी की लगभग हर धाराओं का दुरूपयोग होता है ऐसे में  एससी/ एसटी एक्ट का दुरूपयोग हो रहा है यह पूरी तरह से गलत है।

बृजलाल ने साफ़ किया कि दलितों का सबसे ज्यादा उत्पीड़न पूर्व की बसपा सरकार में हुआ था। उन्होंने बताया कि मायावती की बसपा सरकार के दौरान आयोग के स्वरुप से छेड़छाड़ की गई जिसका फायदा अखिलेश सरकार को हुआ। बृजलाल के मुताबिक सपा सरकार के दौरान आयोग में गैर दलित जाति को अध्यक्ष और सदस्य बनाया गया था जबकि दलित आयोग था लेकिन इसमें दलित के नाम पर कोई सदस्य भी नहीं था और यह आयोग गैर अनुसूचित जाति – जनजाति आयोग बन गया था। एससी/ एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि मायावती सरकार में आयोग के जिस स्वरुप के साथ छेड़छाड़ की गई थी उसको पुनः संसोधित करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।

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