जीवन मंत्र (जनमत). तांबे की अंगूठी और आभूषण पहनना प्राचीन भारत से चला आ रहा सिलसिला है। यह सस्ती धातु है पर इसके फायदे बहुमूल्य हैं। ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों की अलग-अलग धातु है। ग्रहों का राजा सूर्य है और मंगल को सेनापति माना गया है। सूर्य और मंगल की धातु तांबा है। हिन्दू धर्म में सोना, चांदी और तांबा, ये तीनों धातुएं पवित्र मानी गई हैं। इसीलिए पूजा-पाठ में इन धातुओं का उपयोग सबसे ज्यादा उपयोग होता है। इसके अलावा इनकी अंगूठी भी काफी लोग पहनते हैं।
कम होता है मानसिक तनाव और शांत रहता है मन
1. आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तनों का उपयोग करने से हमारी रोगप्रति रोधक क्षमता बढ़ती है। यही लाभ तांबे की अंगूठी पहनने से भी मिलता है। तांबे की अंगूठी पेट संबंधित सभी समस्याओं में काफी फायदेमंद है। यह पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है।
2. तांबे की अंगूठी लगातार हमारे शरीर के संपर्क में रहती है, जिससे तांबे के औषधीय गुण शरीर को मिलते हैं। इसको पहनने से खून साफ होता है।
3. लगातार त्वचा के संपर्क में तांबा रहने से त्वचा की चमक बढ़ती है।
4. तांबे की अंगूठी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है। ये हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
5. इसके अलावा इस अंगूठी को पहनकर आप शरीर की सूजन को भी कम कर सकते हैं।
6. तांबे की अंगूठी शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करती है। इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है। इसके साथ ही गुस्से पर नियंत्रण होता है। ये अंगूठी तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद करती है।
अंगूठी पहनने के कायदे
ज्योतिषिय नजरिए से देखा जाए तो तांबे की अंगूठी में माणिक और मूंगा पहना जा सकता है। हालांकि ये रत्न किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह लिए बिना नहीं पहनने चाहिए। रत्नों के साथ या रत्नों के बिना तांबे की अंगूठी को अनामिका यानि रिंग फिंगर में पहना जाता है क्योंकि इस उंगली पर सूर्य और मंगल का प्रभाव ज्यादा होता। बिना रत्न की तांबे की अंगूठी दांए या बाएं किसी भी हाथ में पहन सकते हैं। बिना रत्नों के बिना भी अंगूठी पहनने से सूर्य और मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।