15वीं लोकसभा के लिए देश के सभी राजनैतिक दलों ने अपनी तैयारियां
तेज कर दी हैं.. इस बार के चुनाव में जहाँ एक ओर राजनैतिक दलों की गरिमा दांव पर लगी है वहीँ दूसरी तरफ भाजपा पर भी
अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव
है. जिसके लिए भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह और मोदी की रणनीतिक सांख दांव पर लगी है. यह चुनाव कई मायनों में
बेहद ख़ास होने वाला है चुकी इस बार के चुनाव में मायावती- अखिलेश एक साथ भाजपा के
खिलाफ खड़े हैं. आमतौर पर कहा जाता है की दिल्ली
की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश
से होकर जाता है और इसी रास्तें का अंतिम छोर है पश्चिंम यूपी.
जहाँ इस बार के चुनाव में मोदी बनाम विपक्ष होगा वहीँ कई बड़े दिग्गज नेता अपना भाग्य अजमाते हुए नज़र आएंगे. दूसरी तरफ सात्ताधारी दल ने भी अपनी एडी और छोटी का जोर लगा दिया है, इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर अपने चिरपरिचित अंदाज़ में नज़र आयें सन 2014 के चुनावों का बिगुल भी मेरठ से ही बजा था चुकी पश्चमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन लाजवाब रहा था, इसी को देखते हुए पीएम मोदी ने दोबारा यहाँ से प्रचार का शंखनाद किया और अपने विद्रोहियों को पस्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं.
विपक्षी दलों के गठबंधन पर तंज किया कि शराब से बचना चाहिए सपा, रालोद और बसपा गठबंधन को ‘सराब’ का नाम देते हुए पूछा कि अच्छी सेहत के लिए इससे बचना चाहिए कि नहीं? उत्तर प्रदेश की अच्छी सेहत के लिए बचना चाहिए कि नहीं? अच्छे भारत के विकास के लिए इससे बचना चाहिए कि नहीं? भविष्य के गर्भ में इन चुनावों का नतीजा भले ही छुपा हो लेकिन जनता इस बार चौकीदार के साथ जाती है या न्याय के वादे के साथ… ये देखना दिलचस्प होगा….