महराजगंज (जनमत):- महराजगंज जनपद के पश्चिमी छोर पर फरेंदा तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित लेहड़ा देवी का मंदिर लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। मां के दरबार में भक्त दूर-दूर से पहुंचते है। शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध दिव्य फलदायिनी लेहड़ा देवी के संबंध में कई प्रचलित पौराणिक संदर्भो के अनुसार इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी। मान्यता के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी स्थान पर यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर देकर अपने चारों भाइयों को पुनर्जीवित किया था। बाद में पांचों भाइयों ने यहां पीठ की स्थापना कर पूजा अर्चना की।
उपलब्ध बौद्ध साक्ष्यों के अनुसार गौतम बुद्ध की माता माया देवी कोलिय गणराज्य की कन्या थीं। ऐसे में बुद्ध का बाल्यकाल इन्हीं क्षेत्रों में व्यतीत हुआ। क्षेत्र के बड़े बुजुर्गो की मानें तो एक दिन लेहड़ा स्थित सैन्य छावनी के अधिकारी (लगड़ा साहब)शिकार खेलते हुए मंदिर परिसर में पहुंच गए। यहां पर भक्तों की भीड़ देख कर उन्होंने देवी की पिंडी पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी।
कुछ ही देर में वहां खून की धारा बहने लगी। खून देख कर भयभीत अंग्रेज अफसर वापस कोठी की तरफ आ रहे थे कि घोड़े सहित उनकी मृत्यु हो गई।उस अंग्रेज अफसर की कब्र मंदिर के एक किमी पश्चिम में स्थित है। इस घटना के बाद लोगों की आस्था लेहड़ा देवी के प्रति और बढ़ गई और दूर दूर से लोग माँ के दर्शन के लिए यहाँ पहुचते हैं और माँ के दर्शन कर अभिभूत होतें हैं|