संघर्ष का दूसरा नाम हैं “नईमा बानो “… जिन्होंने समाज के लिए लगा दिया अपना “जीवन”…

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स्पेशल डेस्क (जनमत):- हमारे समाज में एक बेवा को लेकर नज़रिया बेहद ही दकियानूसी रहा है लेकिन अगर हौसलों  हो तो हर वो चीज़ जो हर नामुमकिन को मुमकिन बना देतीं है जी हाँ, हम बात कर रहे हैं उस महिला की जिसने अपने धरने और प्रदर्शन से बरेली प्रशासन की नाक में दम कर दिया था.

ये वर्तमान में  प्रगतिशील विकास पार्टी ( लोहिया) की प्रदेश सचिव ,( महिला सभा) नईमा बानो हैं.  जिनका जीवन  देश की महिलाओं के लिए  किसी उदाहरण से कम नहीं हैं.  नईमा आज भी महिलाओं के हक और  बराबरी का दर्जा दिलाने को सदैव तत्पर रहती है. बरेली जो कि उनका मायका भी है और ससुराल भी इसी वज़ह से उनका बरेली से लखनऊ उनका आना जाना लगा रहता है.इसी कड़ी में एक बार की बात बताते हुए लोग कहते हैं कि स्थानीय निकाय के चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में फ़र्ज़ी वोटिंग होने लगी जिसकी जानकारी पर इन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया और एक घटना जिसको भुला देना बहुत बड़ी नाइंसाफी होगी.

इसी के चलते फलस्वरूप इनको और इनके परिवार को पुलिस प्रशासन द्वारा बहुत ज्यादती का सामना करना पड़ा अपने इन्ही तेज़ तेवर के कारण जल्द ही समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह की काफ़ी निकटतम माने जाने लगी इसी कारण समाजवादी पार्टी के कई राष्ट्रीय स्तर के पदों पर नियोक्त मिली लेकिन पार्टी में बिखराव के कारण जल्द ही शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई और पार्टी को मजबूत करने का काम किया है यहां भी इनका ये संघर्ष किसी से छुपा नहीं रहा और पार्टी प्रमुख़ ने आगामी विधानसभा चुनाव में बरेली कैंट से उम्मीदवार बनाने का मन भी बना लिया है.

हालांकि इस  विधानसभा में भाजपा लंबे समय से जीत रही है लेकिन इस सीट पर गौर करें तो क़रीब 3 लाख वोटर में 2 लाख हिंदूसर्वण पिछड़े ,दलित , अन्य वर्ग , 1लाख मुस्लिम समुदाय और खासकर 35 हज़ार क़ुरैशी वोटर है जिस समाज से नईमा बानो आती है जो कि एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है , फिलहाल तो ये आने वाला वक़्त ही बता पाएगा कि ऊँट किस ओर करवट लेगा लेकिन नईमा बनो का संघर्ष कभी विराम नहीं लेगा भले ही राजनीति से उन्हें कुछ मिले या न मिले समाज के कमज़ोर तबक़े की सेवा को ही अपना जीवन मान लेना अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं है.

अपने इन्ही तेज़ तेवर के कारण जल्द ही समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह की काफ़ी निकटतम माने जाने लगी इसी कारण समाजवादी पार्टी के कई राष्ट्रीय स्तर के पदों पर नियोक्त मिली लेकिन पार्टी में बिखराव के कारण जल्द ही शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई और पार्टी को मजबूत करने का काम किया है यहां भी इनका ये संघर्ष किसी से छुपा नहीं रहा और पार्टी प्रमुख़ ने आगामी विधानसभा चुनाव में बरेली कैंट से उम्मीदवार बनाने का मन भी बना लिया है. हालांकि इस  विधानसभा में भाजपा लंबे समय से जीत रही है लेकिन इस सीट पर गौर करें तो क़रीब 3 लाख वोटर में 2 लाख हिंदूसर्वण पिछड़े ,दलित , अन्य वर्ग , 1लाख मुस्लिम समुदाय और खासकर 35 हज़ार क़ुरैशी वोटर है जिस समाज से नईमा बानो आती है जो कि एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है , फिलहाल तो ये आने वाला वक़्त ही बता पाएगा कि ऊँट किस ओर करवट लेगा लेकिन नईमा बनो का संघर्ष कभी विराम नहीं लेगा भले ही राजनीति से उन्हें कुछ मिले या न मिले समाज के कमज़ोर तबक़े की सेवा को ही अपना जीवन मान लेना अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं है, लेकिन  नईमा बानो ने हर परेशानी में सफल होने जो गुर सीखा हैं वो भी अपने आपमें एक अलग मुकाम रखता हैं.

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL WITH SHAILENDRA SHARMA,

JANMAT NEWS, LUCKNOW.