स्कूलों के साथ ये कैसा दोहरा मापदण्ड

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फर्रुखाबाद (जनमत):- बेटी बचाओं – बेटी पढ़ाओं और हर घर में अब आवाज़ उठेगी, बेटियां भी अब आगे बढ़ेंगी। ऐसे न जाने कितने स्लोगन है जिसके सहारे सरकारें चाहे वो केंद्र की हो या फिर राज्य की – बेटी को बचाने और पढ़ाने का दम्भ भरती रही है। लेकिन हकीकत क्या है यह भी सभी जानते है। अगर नहीं भी जानते तो इस घटना को देखिये और सुनिए। इसमें सिर्फ एक ही नहीं कई सरकारी स्कूलों का हाल बताया और दिखाया गया है। ये विद्यालय भी उत्तर प्रदेश के उस जनपद का है जो कुछ समय पहले बेहद सुर्खियों में था। जी है यहाँ बात हो रही है यूपी के जनपद फरुखाबाद की और यही के सरकारी विद्यालय की।

फर्रुखाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए मुख्य विकास अधिकारी राजेंद्र पेंसिया की पहल पर मार्डन स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में करीब 16 से अधिक ऐसे प्राथमिक विद्यालय भी हैं,जो धर्मशाला,मंदिर या टिन शेड के नीचे चल रहे हैं। इन स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हालत में है। बरसात के दिनों में अभिभावक हादसे के डर से स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते हैं। रेलवे स्टेशन रोड पर किराए के मकान में स्थित प्राथमिक विद्यालय में करीब 46 बच्चे है। यहां पर टिन शेड के नीचे बरामदे में कक्षाएं चलती है। बारिश में टीन शेड भी टपकने लगती है। अध्यापक का कहना है यह विद्यालय करीब 50 साल से इसी हालत में चल रहा है।

नई बस्ती स्थित एक धर्मशाला के बरामदे में सन 1963 से दो विद्यालय एक साथ चल रहे हैं। जर्जर भवन में 118 बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर है। गर्मी के मौसम में बरामदे में धूप आ जाती है और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। ऐसे में इन बच्चों की यहाँ छुट्टी कर दी जाती है। यहाँ नौनिहालों पर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती। बरसात के दिनों में तो मिड डे मील वाला खाना किन हालातों में बनता है आप इन्ही से सुनिए।

नवीन घोड़ा नक्खास के मोहल्ला गरीबा पश्चिम में प्राथमिक विद्यालय का संचालन राम जानकी मंदिर के प्रांगण में हो रहा है। यहाँ पर कुल 57 बच्चें पंजीकृत है लेकिन यहाँ के हालत भी बेहद दयनीय है। ऐसे में यहाँ बच्चे तो क्या अध्यापकों के लिए भी पठन – पाठन करना संभव नहीं है। यहाँ के कई स्कूल तो ऐसे है जहा शौचालय भी नहीं है। ऐसे में किसे किन – किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा इससे सभी वाकिफ है। यहाँ के विद्यालयों के हालात दयनीय तो जरूर है लेकिन कैसे सुधार होगा इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी सुनिए। समस्या भयानक है बावजूद बीएसए बड़े ही इत्मीनान से कह रहे है कि जाँच के बाद नियमानुसार सब कुछ होगा।

विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन स्कूलों के भवन की मरम्मत नहीं की जा रही है। कोई बड़ा हादसा होने पर इसका जिम्मेदार कौन होगा यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल अब मुख्य विकास अधिकारी के बयान को भी सुनिए। इनका साफ़ कहना है कि यहाँ ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों का शत – प्रतिशत कायाकल्प होगा लेकिन शहरी विद्यालयों के हालत कब सुधरेंगे इसका फिलहाल इनके पास कोई माकूल जवाब नहीं था।