काश! उन्होंने मेरी आवाज़ सुनी होती….काश…

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देश/विदेश (जनमत) :- देश में लॉक डाउन और मजदूरों की वापसी को लेकर एक तरफ सरकारे कदम उठा रहीं हैं वहीँ दूसरी तरफ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मरने वाले 16 मजदूरों के  साथी और प्रत्यक्षदर्शी ने रेल हादसे की दर्दनाक सुबह के बारे में जानकारी दी और घटना के बारे में बताया है। प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक मैंने अपने साथियों को घटना के वक्त आवाज लगाकर उठाने की कोशिश की थी लेकिन वो उठ नहीं पाए। जब मालगाड़ी आ रही थी तो मैंने अपने सहयोगियों को सचेत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से तब तक ट्रेन उनके ऊपर से चली गई। हम सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और हम जालना की एसआरजी कंपनी में काम करते हैं। हम सभी अपने पैतृक गांवों को जा रहे थे।

हम गुरुवार की सुबह सात बजे अपने कमरों से निकल गए और शुक्रवार सुबह करीब चार बजे घटनास्थल पर पहुंचे। हम कुछ आराम करने के लिए वहां रुक गए। जो लोग घटना में मारे गए, वे हम तीनों से कुछ ही मीटर आगे थे। वे पटरियों पर बैठ गए और धीरे-धीरे नींद में चले गए। मैं दो अन्य लोगों के साथ कुछ दूर आराम कर रहा था। कुछ समय के बाद एक मालगाड़ी आई… मैंने उन्हें आवाज दी लेकिन वे मुझे सुन नहीं पाए और ट्रेन उनके ऊपर से निकल गई।उन्होंने कहा, हमने एक सप्ताह पहले पास के लिए आवेदन किया था। कोरोना वायरस में लागू लॉकडाउन के कारण हम बेरोजगार हो गए थे और हमारे पास पैसे नहीं थे इसलिए हम वापस अपने गांव जा रहे थे। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार को एक मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर मध्यप्रदेश लौट रहे थे। वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे।

  Posted By:- Ankush Pal

Correspondent, Janmat News.