देश के बारह राज्यों में लंपी वायरस का कहर ज़ारी

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मथुरा (जनमत):-  देश के 12 राज्यों में इन दिनों लंपी वायरस नामक बीमारी पशुओं में दिनों दिन बढ़ती जा रही है। खास कर इस बीमारी का असर पड़ोसी राज्य के राजस्थान में कहर बरपा रहा है | जिसका सीधा असर राजस्थान से सटे मथुरा जिले में अपना कहर बरपता  हुआ देखने को मिल रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर मबेशियों को बचाने के लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं। लंपी वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार प्रयास कर रही है। बाबजूद इसके लंपी वायरस दिनों दिन गायों को अपनी चपेट में लेता हुआ नज़र आ रहा है ।

आखिर  क्या है लंपी वायरस

कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस के तौर पर जाना जाता है। इसे ढेलेदार त्वचा रोग वायरस भी कहते हैं | इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है। पॉक्सविरिडाए को पॉक्स वायरस भी कहते हैं, इसके प्राकृतिक मेजबान रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु होते हैं। इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं, जो 22 पीढ़ी और दो उप-परिवारों में विभाजित हैं। इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी शामिल है।

 

एक आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अबतक लगभग 200 के करीब गायों की लंपी वायरस के चलते मौत हो चुकी है , जबकि सरकारी आकड़ो के हिसाब से 21 हज़ार के करीब गाय इससे संक्रमित बताई जा रही हैं। वहीं राज्य के सात जिलों में इसका संक्रमण देखा जा रहा है। जिसमें  आगरा, अलीगढ़, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद सहित मथुरा में अधिकतम मामले देखने को मिल रहे है |  जिसके चलते राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में दूसरे राज्यों  से पशु लाने और ले जाने में रोक लगाई गई है। इस वायरस की रोकथाम के लिए प्रभावित जिलों में सरकार द्वारा वेटनरी एम्बुलेंस काम कर रही हैं और पशुओं को 17 लाख 50 हज़ार के करीब टीके भी उपलब्ध कराए गए हैं।

कान्हा की नगरी मथुरा में वैसे तो इस लंपी वायरस का असर खास नहीं है, लेकिन फिर भी कई गौशालाओं में इसका असर देखने को मिल रहा है, जिले भर में लगभग पिछली पशुगणना के अनुसार करीब दो लाख 30 हजार गोवंश है। जिसमें से 50 हजार गोवंश लावारिस घूम रहा है, इनकी देखभाल के लिए जिले की 32 पंजीकृत और 80 अपंजीकृत गौशालाएं प्रयासरत हैं। इनके अलावा 18 अस्थाई गोआश्रय स्थल और भी विकसित किए जा रहे हैं।

मथुरा में लगभग दो लाख से अधिक गौवंश है। जिनमें से लगभग 5 से 10 हज़ार के करीब गौवंश लावारिश घूमते नजर आते हैं। ये आंकड़े गौसेवक धीरज कौशिक ने बताए हैं। इस बीच जब गौ – सेवक धीरज कौशिक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि वो विगत 10 वर्षों से गायों की सेवा कर रहे हैं। मथुरा में लंपी वायरस की वजह से अभी तक कई गायों की मौत हो चुकी है। कुछ गौशालाओ में गाय लंपी वायरस से प्रभावित हुई है जो कि पड़ोसी राज्य राजस्थान से गंभीर हालत में गौशालाओ में लाई गई थी।

 

 

पद्मश्री प्राप्त राधा सुदेवी दासी गौशाला में लगभग 3 हज़ार के करीव गौवंश है, जिनमें  से लगभग आठ सौ के करीब गाय अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं जिनका इलाज चल रहा है। लंपी वायरस को लेकर गौशाला संचालक चिंता में हैं। वहीं गौशाला में काम कर रहे गौसेवक नेम सिंह से बात हुई तो बताया कि गौशाला में 3 हज़ार गाय हैं, जिन्हें सरकारी डॉक्टरों द्वारा लंपी वायरस से बचने के लिए वैक्सीन दी गयी है। गौशाला में 25 गाय लंपी वायरस से ग्रसित पाई गईं हैं। जिन्हें गौशाला की गायों से अलग रखा गया है। जिनका निरन्तर इलाज चल रहा है।

लंपी वायरस के लक्षण

आम तौर पर पशुओं की खाल पर गांठें पढ़ जाती है फिर उनमें पस पड़ जाता है। घाव आखिरी में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं। जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है। यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है, इसके अलावा, पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, वायरस के अन्य लक्षण हैं।

 

लंपी वायरस का इलाज

अभी तक इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में शीप पॉक्स और गोट पॉक्स के लिए बने टीके कैपरी पॉक्स के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल किए जाते है। चूंकि कैपरी पॉक्स वायरस सिंगल सीरोटाइप होता है इसलिए वैक्सीन का असर लंबा चलता है। पशुओं में बीमारी फैलने पर उन्हें प्रथक रखने की सलाह दी जाती है। भारत में इस वायरस के लिए पशुओं के गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है।

Reported By :-  Sayyed Jahid

Published By :- Vishal Mishra