तनाव के सायें में “गलवां घाटी”..शान्ति की उम्मीद लगती है “नाकाफी”…

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देश/विदेश (जनमत) :- पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों ने वहां से अपने सैनिकों के पीछे हटने पर रोक लगा दी है। गलवां सेक्टर में दोनों पक्षों के डिवीजनल मिलिट्री कमांडर्स बातचीत कर रहे हैं, लेकिन जो जानकारी सूत्रों से मिल रही है उसके मुतबिक चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी छह जून को दोनों पक्षों में कोर कमांडरों द्वारा निर्धारित डी-एस्केलेशन मैट्रिक्स के अनुसार शायद ही पीछे हटी हो।यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है और विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवां),  पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (कोंगका ला) और पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 (हॉट स्प्रिंग्स) पर चल रहे भारत-चीन गतिरोध को विचार-विमर्श के बाद भी हल होने में सप्ताह लग सकते हैं।

दूसरी तरफ पैंगोंग त्सो पर चल रहा विवाद तो सुलझने में इससे भी ज्यादा समय ले सकता है। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में कुछ सकारात्मक संकेत सामने आ रहे हैं, जैसे कि चीनी पीएलए वायु सेना ने गुरुवार रात कोई भी फाइटर प्लेन अभियान नहीं किया। दोनों सेनाओं द्वारा सैन्य प्रोटोकॉल निर्धारित करने के सख्त पालन से किसी भी विवाद की संभावना कम हो गई है। साथ ही दोनों सेनाओं ने सीमा के नियमों का पालन किया। हालाँकि अब लद्दाख सीमा पर हालात कब करवट ले लें इसके विषय में कुछ भी अंदाजा लगाना इतना आसन नहीं हैं, हालाँकि स्थिति ज़रूर कुछ हद तक काबू में हैं लेकिन बहुत जल्द इसका समाधान हो जाए ऐसा भी प्रतीत नहीं हो रहा है.

Posted By:- Ankush Pal

Correspondent, Janmat News.