रेलवे के स्टेशन मास्टरों ने मोमबत्ती जलाकर दमनकारी फैसले का किया विरोध 

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लखनऊ (जनमत): रेलवे में रात्रि भत्ते को लेकर किये गए तानाशाही फैसले के खिलाफ पूरे देश के स्टेशन मास्टरों ने लामबद्ध होकर फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। फैसले का विरोध 15 अक्टूबर यानि की गुरुवार रात से स्टेशन मास्टरों ने पूरे देश में शुरू कर दिया है। अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात की जाये तो कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यहाँ भी स्टेशन मास्टरों ने स्टेशन की सभी लाइट को बंद कर और मोमबत्ती जलाकर फैसले का विरोध किया। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर क्रमवार फैसले का विरोध करने के बाद भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जायेगा और इसकी समस्त जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।

( मोमबत्ती जलाकर स्टेशन मास्टरों ने आदेश का किया विरोध )

29 सितम्बर 2020 को जारी किये गए रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या 83/ 2020 के मुताबिक नाइट ड्यूटी एलाउंस सीलिंग लिमिट 43600 नाइट ड्यूटी की गणना अब बेसिक पे 43600 के आधार पर ही की जाएगी। रेलवे बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ पूरे देश के 39000 हजार स्टेशन मास्टरों ने एकजुट होकर फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया। फैसले का विरोध स्टेशन मास्टर क्रमवार करेंगे। इसी कड़ी में 15 अक्टूबर को देश के सभी स्टेशन मास्टरों ने अपने – अपने स्टेशन की लाइट बंद की और उसके बाद मोमबत्ती जलाकर फैसले का विरोध किया। सूबे की राजधानी लखनऊ में भी स्टेशन मास्टरों ने कोरोना प्रोटोकॉल की गाइड लाइन के मुताबिक मोमबत्ती जलाकर फैसले का विरोध किया। मंडल संयोजक आर के यादव के मुताबिक विरोध की यह एक शुरुआत है। अगर रेलवे प्रशासन ने जारी आदेश को रद्द नहीं किया तो 20 अक्टूबर से समस्त भारतवर्ष के स्टेशन मास्टर काला सप्ताह मनाएंगे।

 (चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करते स्टेशन मास्टर)

20 अक्टूबर से देश के सभी स्टेशन मास्टर ट्रेन संचालन को सुचारू रूप से जारी रखते हुए काला फीता बांधकर आदेश का विरोध करेंगे। इसके बाद भी अगर प्रशासन द्वारा इस आदेश को रद्द नहीं किया गया तो 31 अक्टूबर को भारतवर्ष के समस्त ऑन ड्यूटी और ऑफ ड्यूटी स्टेशन मास्टर 12 घंटे की भूख हड़ताल पर चले जाएंगे। मण्डल संयोजक आर के यादव के मुताबिक जो आदेश अभी हाल ही में रेलवे बोर्ड के द्वारा जारी किया गया है। इससे पहले भी नाइट ड्यूटी का पत्र रेलवे बोर्ड के द्वारा ही पत्र संख्या 36/2018 दिनांक  8 मार्च  2018 को जारी किया गया था। पत्र में किसी भी प्रकार का  विचाराधीन मामला नहीं बताया गया था। जबकि वर्तमान में जो पत्र जारी किया गया है उसके लागू होने की तारिख एक जुलाई 2017 है। आर के यादव का कहना है कि इस पत्र का कोई औचित्य नहीं है। पत्र 2018 में लागू होने के बाद रेलवे बोर्ड ने 1 जुलाई 2017 से नाइट ड्यूटी का एरियर भी कर्मचारियों को दिया है।

 

( चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करते स्टेशन मास्टर )

आरोप है कि कैटेगरी संरक्षा के साथ अनवरत रूप से नाइट ड्यूटी करने वालो के साथ ऐसा व्यवहार रेलवे प्रशासन के द्वारा संरक्षा के साथ खिलवाड़ है। ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन ऐसे आदेशों का वैधानिक तरीके से विरोध करता है। साथ ही रेलवे संगठन रेलवे प्रशासन को चेतावनी भी देता है कि अगर अगर दमनकारी आदेश को वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन तेज होगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी रेल प्रशासन की होगी।

 

posted by : Amitabh chaubey (Janmat News )