नई दिल्ली (जनमत ) :- गैंगस्टर विकास दुबे और अन्य लोगों की मुठभेड़ में हुई मौत की जाँच के लिए फिर से एक आयोग गठित करने समेत राहत का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को पैनल की सिफारिशों के अनुसार कदम उठाने के निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने चौहान रिपोर्ट को लेकर भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज (रिटायर्ड) बी एस चौहान की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जाँच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और उसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए।
न्यायमूर्ति चौहान के पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जुलाई, 2020 में कानपुर में बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में गैंगस्टर दुबे और उसके गिरोह के अन्य सदस्यों की मौत संबंधी पुलिस के संस्करण को लेकर कोई संदेह नहीं है, क्योंकि आम जन या मीडिया में से किसी भी व्यक्ति ने पुलिस के दावे का विरोध नहीं किया और न ही इसे नकारने वाला कोई सबूत दाखिल किया गया।
वकील घनश्याम उपाध्याय ने याचिका दायर करके दुबे और अन्य संबंधी मुठभेड़ की जांच के लिए जाँच आयोग का पुनर्गठन किए जाने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त, 2020 को न्यायिक आयोग को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में 3 जुलाई, 2020 की रात आठ पुलिसकर्मियों की उस समय मौत हो गई थी, जब वे विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रहे थे और उन पर हमला कर दिया गया था। पुलिस ने कहा था कि दुबे की 10 जुलाई, 2020 की सुबह पुलिस मुठभेड़ में उस समय मौत हो गई थी, जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने घटनास्थल से भागने की कोशिश की थी।
Published By – Vishal Mishra