चीखों और पुकारों से “गूजता” जलियांवाला बाग

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एक्सक्लूसिव न्यूज़(जनमत) आज जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी है। यह बात उस समय की है जब हिन्दुस्तानियों ने अंग्रेजो की प्रथम विश्व युद्ध  में बहुत मदत की थी इस मदत के बदौलत ब्रिटिश सरकार ने हिन्दुस्तानियों से वादा किया था की वे उन्हें अच्छी सुविधाए देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ हिन्दुस्तानियों को अंग्रेजो का अत्याचार सहना पड़ा और उनकी दमकारी नीतियों को सहते हुए गोलिया खानी पड़ी और अंग्रेजो ने  जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड को भी अंजाम दिया|  13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरान ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं।

ये सभी जलियांवाला बाग में रौलट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। तभी अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने इस बाग के मुख्य द्वार को अपने सैनिकों और हथियारंबद वाहनों से रोककर निहत्थी भीड़ पर बिना किसी चेतावनी के 10 मिनट तक गोलियों की बरसात की थी।  इस हत्याकांड की दुनिया भर में निंदा की गई थी| हमारे देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों को रोकने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था|

लेकिन इस हत्याकांड के बाद हमारे देश के क्रांतिकारियों के हौसले कम होने की जगह और मजबूत हो गए थे| अंग्रेज अफसर जनरल डायर ना होते तो जलियांवाला बाग हत्याकांड भी ना होता।  डायर ने फैसला लिया था कि वह भारतीयों को सबक सिखाएंगे।  इस घटना में तकरीबन 1000 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1500 से ज्यादा घायल हुए थे। लेकिन ब्रिटिश सरकार मरने वाले लोगों की संख्या 379 और घायल लोगों की संख्या 1200 बताती है।

9 अप्रेल रामनवमी के दिन हिन्दू, मुसलमानों ने जुलुस निकाला गया इसी बीच गाँधी जी भी पंजाब आना चाहते थे लेकिन पलवल स्टेशन पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वापस मुंबई भेज दिया गया| नेताओ की गिरफ्तारी से पंजाब में और तनाव का माहोल पैदा हो गया यह देख अंग्रेजो के हाथ पांव फूलने लगे तो उन्होंने पंजाब के अमृतसर शहर को सेना के हाथो में सोप दिया|सेना का मुख्य ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर था|

इस सभा में भाषण दिया जा रहा था की रोलेट एक्ट (काला कानून) वापस लिया जाये और 10 अप्रेल को हुए गोलीकांड की निंदा भी की गयी साथ ही गिरफ्तार हुए मुख्य नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफ़ुद्दीन किचलू को रिहा करने की मांग रखी गयी|

सभा अपने चरम पर थी तभी जनरल डायर अपनी फोज के साथ जलियांवाला बाग के एकमात्र दरवाजे पर आ धमका, जलियांवाला बाग के चारो तरफ ऊँची-ऊँची दीवारे थी और एक ही रास्ता था जिस आया जाया जा सकता था. इसी दरवाजे पर सेना के लोगो ने अपनी बंदूक तान कर खड़े हो गये तभी जनरल डायर ने आर्डर दिया सभी लोगो को गोलियों से भुन दिया जाये और सेनिको ने गोलिया चलानी चालू कर दी|

वही भारीतय इतिहासकारों का कहना है कि जब ये घटना हुई तो वहां जनरल डायर मौके पर मौजूद थे। लेकिन लोगों पर गोलीबारी चलाने का निर्देश पंजाब के तत्कालीन गर्वनर जनरल माइकल फ्रांसिस ओ’ड्वायर ने दिया था। वही सबसे ऐतिहासिक खबर ये रही की जिस ब्रिटिस शासन के अधिन इस क्रूर घटना को अंजाम दिया गया था उसी ब्रिटिस सरकार ने आज इस घटना पर खेद प्रकट कर माफ़ी है जो की आज उन शहीदों के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजली है|