इसी सवाल पर तब हुआ था “देश का विभाजन”….

देश – विदेश

देश/विदेश (जनमत) :- देश में  नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जहाँ चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है वहीँ इस बिल के लोकसभा में पास होने पर सपा के कद्दावर नेता आज़म खान ने अपना विरोध दर्ज कारते हुए  भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा….. और बताया कि अब लोकतंत्र में दिमाग नहीं बल्कि लोगो के सिर गिने जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह फैसला ताकत के बल पर किया गया है जो की बिलकुल गलत है, साथ ही बताया कि सत्ता पक्ष को उन बातों पर ज़रूर विचार करना चाहिए जो सही और सभी के हक की होती है, ऐसा नहीं कि अगर अपोजिशन की बात को सिरे से खारिज कर दे बल्कि उस पर एक बार विचार भी ज़रूर करना चाहिए.

साथ ही बताया कि “ये फैसला ताकत के बल पर हुआ है. चूँकि विपक्ष की तादाद कम है. विपक्ष कितनी भी सही बात कहे उसकी सुनवाई नहीं होगी. लेकिन अच्छे लोकतंत्र की मिसाल ये है कि सत्ता पक्ष को न सिर्फ विपक्ष की सही बात को सुनना चाहिए , बल्कि मानन भी चाहिए.  जिस सवाल पर आज देश बंटा हुआ है, उसी सवाल पर तो 1947 में देश का विभाजन हुआ था. लेकिन जो लोग पाकिस्तान नहीं गए थे, उनके पास रास्ता था पाकिस्तान जाने का. मुसलमानों के अलावा किसी के पास  पाकिस्तान जाने का विकल्प नहीं था. लेकिन जो लोग उस वक्त पाकिस्तान नहीं गए शायद उनसे ज्यादा बड़े देश भक्त थे, जिन्हें जाने का विकल्प नहीं था. अगर उस देशभक्ति की यही सजा है तो उस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती क्योंकि लोकतंत्र में दिमाग नहीं सिर गिने जाते हैं।

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