देश के दूसरे गाँधी का आज है जन्मदिन….

व्यक्त्ति-विशेष

व्यक्ति विशेष (जनमत). सामाजिक कार्यकर्ता(social worker) और गांधीवादी नेता किसान बाबूराव हजारे, जिन्हें आज हम अन्ना हजारे के नाम से जानते है। आज वो अपना 82वां जन्मदिन मना रहे है। उनका जन्म 15 जून 1937 को रालेगन सिद्धि, अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुआ था। अन्ना हजारे के पिता का नाम बाबू राव हजारे था। उनकी माँ का नाम लक्ष्मी राव हजारे, उनके भाई का नाम मारुती हजारे है, इसके अलावा उनकी 2 बहन भी है। अन्ना हजारे का बचपन बड़ी गरीबी में गुजरा। जिन्हें हम सभी  भ्रष्टाचार के विरुद्ध और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले इंसान के रूप में को जानते हैं। अन्ना हजारे गांधीवादी  विचारधारा पर चलने वाले एक सच्चे समाजसेवक(social worker )हैं जो किसी राजनीतिक पार्टी की जगह स्वतंत्र रुप से काम करने में भरोसा रखते हैं।

अन्‍ना हजारे का वास्‍तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। अन्ना हजारे के पिता मजदूर थे और दादा फौज में थे। फौज में रहने वाले उनके दादा की पोस्टिंग भी भिंगनगर में ही थी। अन्ना का पुश्‍तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना हजारे का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता था। अन्ना हजारे के परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए उन की  बुआ उन्हें अपने साथ मुंबई लेकर आ गईं,  जहां अन्ना हजारे ने मुंबई में सातवीं तक पढ़ाई की और साथ ही साथ एक फूल की दुकान पर काम करने लगे। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने  की अपील पर अन्ना 1963 में सेना की मराठा रेजीमेंट में ड्राइवर के रूप में भर्ती हो गए। अन्ना की पहली नियुक्ति पंजाब में हुई। फौज में काम करते हुए अन्ना हजारे पाकिस्तानी हमले से बाल-बाल बचे।

1975 में जम्मू में तैनाती के दौरान सेना में सेवा के 15 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। अप्रैल 2011 में, उन्होंने  भ्रष्टाचार(corruption) पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए भारतीय सरकार पर दबाव बनाने के लिए  अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। सरकार ने बाद में उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया, और उन्होंने अपना उपवास समाप्त कर दिया। अगस्त 2011 में, उन्होंने एक और भूख हड़ताल शुरू कर दी। इस बार, वह सरकार को एक जन लोकपाल विधेयक पारित करना चाहते थे। भारत की संसद के बाद उनकी मांगों को स्वीकार किए जाने के बाद उन्होंने उपवास समाप्त कर दिया। इस आंदोलन को पूरे भारत के शहर के लोगों से बहुत समर्थन मिला। हज़ारे की कई बातों के लिए आलोचना की गई जैसे कि न्याय के बारे में, अपने मजबूत विचार और जनसंख्या को नियत्रित करने के लिए पुरुष नसबंदी आदि।

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम(Lokayukta Act), 2013 को पारित करने के लिए भारत सरकार को मनाने में हजारे ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह कई बार भ्रष्टाचार विरोधी कानून बनाने के लिए सरकार को कार्रवाई करने के लिए अपनी ओर से अनिश्चितकालीन उपवासों पर चल रहे थे। 1992 में, उन्हें पद्म भूषण, भारत में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, सौंपा गया। ताकि समाज के सुधार की दिशा में उनके अभिनय योगदान के लिए सम्मानित किया जा सके। वह एक मंदिर से जुड़े हुए एक कमरे में बहुत ही संयमपूर्ण जीवन जीते है। अपनी फौज की नौकरी के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक किताब कॉल टू द यूथ फॉर नेशन खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित करने की ठान ली। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे को भी पढ़ा और उनके शब्दों को अपने जीवन में जैसे ढ़ाल लिया।

इन सभी महान लोगों का अन्ना के जीवन और उनकी सोच पर गहरा असर पड़ा। जिसके परिणामस्वरूप अन्ना हजारे ने साल 1970 में आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय कर लिया। अन्ना हजारे का मानना था कि देश की असली ताकत गांवों में है और इसीलिए उन्होंने गांवो में विकास की लहर लाने के लिए मोर्चा खोल दिया। यहां तक की उन्होंने खुद अपनी पुस्तैनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दे दी। अन्ना हजारे ने ये सोचा की विकास के मामले में केवल भ्रष्टाचार(corruption) ही एक सबसे बढ़ी बाधा है इसलिए 1991 में उन्होंने अपना एक नया अभियान शुरू किया जिसे भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन का नाम दिया गया। इस से पता लगाया गया की 42 फारेस्ट अधिकारियो ने संधि का लाभ उठाते हुए करोडो का भ्रष्टाचार किया है। अन्ना हजारे ने इसके विरुद्ध साबुत पेश कर उन्हें जेल में डालने की अपील भी की लेकिन उनकी इस अपील को ख़ारिज कर दिया गया, क्योंकी वे सारे अधिकारी किसी बड़ी प्रचलित राजनितिक पार्टी के ही अधिकारी थे और इस बात से निराश होकर अन्ना हजारे ने उन्हें दिया गया पद्मश्री पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति को वापिस कर दिया और प्रधानमंत्री इंदिरा राजीव गाँधी द्वारा दिया गया वृक्ष मित्र पुरस्कार भी वापिस कर दिया।

उन्होंने पुणे के आलंदी गांव में इसी मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल कर दी। आखिर में सरकार कुंभकर्णी नींद से जागी और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। हजारे का यह आंदोलन काफ़ी काम आया और 6 मंत्रियों को त्याग-पत्र देना पड़ा जबकि विभिन्न सरकारी कार्यालयों में तैनात 400 अधिकारियों को वापस उनके घर भेज दिया गया। अन्ना हजारे का ऐसा मानना था की अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करे तो निच्छित ही हमें इसका परिणाम गाव के विकास के रूप में मिलेंगा। वे कहते है की, “आज हम प्राकृतिक साधनों जैसे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, कोयला और पानी इन सभी का विनाश कर रहे है। अन्ना हजारे को आधुनिक युग का गान्धी भी कहा जा सकता है अन्ना हजारे हम सभी के लिये आदर्श है। आज हमारे समाज को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो सामाजिक भलाई के लिए खुद को जलाने के लिए तैयार हो। हमारे  जनमत न्यूज़ परिवार की तरफ़ से  अन्ना हजारे को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं|

 अमिताभ चौबे

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