लखनऊ (जनमत) :- देश में कोरोना कि दूसरी लहर जमकर अपना कहर बरपा रही है वहीँ इस दौरान कई ऐसे मामले भी सामने आ रहें हैं जहाँ मरीजो कि जिंदगियों से खिलवाड़ होता नज़र आ रहा है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित डॉक्टर राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। आरोप है कि एक जीवित महिला को मृत घोषित कर दिया। परिजन शव घर ले गए, लेकिन वहां मरीज की सांस चल रही थी जिसे देखकर हर कोई हैरान हो गया । जिसके बाद पास के एक कंपाउंडर को बुला कर जांच की गई तो ऑक्सीमीटर लगाने पर उनका ऑक्सीजन का स्तर 99 और पल्स 50 दिख रहा था। जिस पर महिला को आनन-फानन में दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद महिला की रविवार देर रात मौत हो गई। वहीं, लोहिया संस्थान ने इस घटना पूरी तरह से फर्जी बताया है।
आपको बता दे कि इंदिरा नगर निवासी सुनील कुमार ने बताया कि उनकी मां सुखरानी को सांस लेने में दिक्कत थी। इसलिए 29 अप्रैल को उन्हें लोहिया संस्थान लाए थे। यहां इमरजेंसी में उनका इलाज चल रहा था। परिजनों के मुतबिक रविवार की शाम 5.27 बजे मरीज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद वह अपने घर ले गए। जहां 7.24 बजे लोगों ने देखा कि मरीज मुंह से सांस लेने की कोशिश कर रही है। इसके बाद तुरंत घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट दिया। इसके बाद उसे आनन-फानन में डालीगंज स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हालाँकि लोहिया संस्थान प्रशासन ने पूरे मामले को फर्जी बताया है लेकिन सवाल यह उठता है कि जब मरीज की मौत नहीं हुई तो उसे डिस्चार्ज क्यों किया गया? एक बड़ा सवाल है….
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL….
SPECIAL DESK.