SGPGI के निदेशक डॉ0 आर के धीमान  की अनोखी “पहल”…

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लखनऊ (जनमत):- भारत में अंग प्रदाता और अंग प्राप्तकर्ता के बीच एक बहुत बड़ा अंतर है। परिणाम स्वरूप अंगों के लंबे इंतजार में हजारों जीवन समाप्त हो रहे हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनके परिणाम स्वरूप 1.5 लाख लोग प्रतिवर्ष असमय काल का ग्रास बन जाते हैं। यह लोग संभावित अंग प्रदाता हो सकते हैं, किंतु उनकी अंगदान की सहमति के किसी विश्वसनीय प्रमाण के अभाव में यह प्रक्रिया आरंभ ही नहीं हो पाती। उत्तर प्रदेश में रोग ग्रस्त अंग प्रदाता समूह (diseased organ donor pool ) को तेजी देने के लिए और अंगदान हेतु सहमति के लिखित प्रमाण को सुनिश्चित करने के लिए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन द्वारा एक नई पहल की गई है। वाहन चालक लाइसेंस के लिए प्रार्थना पत्र देते समय अब फॉर्म में अंगदाता कॉलम का विकल्प उपलब्ध रहेगा,  जिसे भरना अनिवार्य होगा।

प्रोफेसर धीमन के द्वारा चंडीगढ़ में भी ऐसी ही व्यवस्था का आरंभ किया गया था, जिसमें वाहन चालक लाइसेंस पर अंगदान हेतु प्रतिबद्धता विकल्प को भरना अनिवार्य किया गया और चढ़ीगढ ऐसा करने वाला दूसरा केंद्र शासित प्रदेश बना। प्रोफेसर धीमन के समर्थ निर्देशन में SOTTO, उत्तर प्रदेश के नोडल ऑफिसर और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के अस्पताल प्रशासन विभाग के अध्यक्ष, डॉक्टर राजेश हर्षवर्धन द्वारा इस विचार बिंदु पर कार्य आरंभ किया गया। इस विषय को उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग के समक्ष रखा गया। उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन आयुक्त श्री धीरज साहू और अवर परिवहन आयुक्त श्री देवेंद्र कुमार ने इस विषय से पूर्ण सहमति व्यक्त की। तत्पश्चात इस विषय में उपयुक्त शासकीय आदेश जारी किए गए है कि अब से वाहन चालन लाइसेंस  के लिए ही आवेदन पत्र भरते समय ‘ मृत्यु की स्थिति में स्वेच्छा से अंगदान’ का कॉलम अवश्य भरना होगा।

ऑनलाइन पोर्टल पर भी यथोचित बदलाव किए गए हैं। अनुपालन न करने की स्थिति में आवेदन पत्र आगे की कार्रवाई हेतु स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आवेदक द्वारा ‘हां’ विकल्प का चयन करने पर उनके स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस पर लाल रंग का एक चिन्ह दिखेगा, जो अंग प्रदाता स्थिति को इंगित करेगा। इस व्यवस्था द्वारा  अग प्रदाता और अंग प्राप्तकर्ता  के बीच के एक बड़े अंतर को भरा जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति, जिसने स्वेच्छा से अंगदान की प्रतिज्ञा ली है और यह उसके ड्राइविंग लाइसेंस पर भी अंकित है, की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो उसके अंगों को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के आधार पर प्रशिक्षित विषाद परामर्शदाता ( grief counsellors) द्वारा प्रत्यारोपण के लिए हार्वेस्ट किया जा सकता है, जिससे उन लाखों रोगियों की सहायता की जा सकती है जो अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा में है। संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के निदेशक डॉक्टर आर के धीमन  के प्रेरणादायी  नेतृत्व में SOTTO यूपी की बड़ी उपलब्धि है।

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL/AMBUJ MISHRA,

JANMAT NEWS, LKO.