वैश्विक नेतृत्व का एक अभूतपूर्व अवसर है “जी 20 की अध्यक्षता” …

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लखनऊ (जनमत) :- दुनिया भर में फैली अस्थिरता, आर्थिक विषमता और प्रतिकूलता के मध्य विगत एक दिसंबर को भारत ने जी20 समूह के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया. जी20 दुनिया के सफलतम देशों का संगठन है जिसके सदस्य देश  दुनिया की दो तिहाई आबादी के साथ वैश्विक सकल उत्पाद के 85% हिस्से, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75% हिस्से और विकास में वैश्विक निवेश के 80% हिस्से पर काबिज हैं। ऐसे सशक्त और प्रभावी संगठन का अध्यक्ष बनना वैश्विक परिदृश्य पर भारत के एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरने का एक अहम् संकेत है।

भारत को जी20 समूह के देशों के नेतृत्व की जिम्मेदारी ऐसे समय पर मिली है जब पूरी दुनिया सदी में एक बार आने वाली विघटनकारी महामारी, संघर्षों और बहुत सारी आर्थिक अनिश्चितता के बाद के प्रभावों से गुजर रही है जिसकी वजह से अनेक देशों को उच्च मुद्रास्फीति, भोजन, उर्वरक और ऊर्जा की कमी, बेरोजगारी, आर्थिक विषमता आदि समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, परमाणु प्रसार आदि अन्य चुनौतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था और समुदाय को लगातार अस्थिर कर रही हैं। कह सकते हैं भारत को काँटों  का ताज मिला है.

पर चुनौती यदि बड़ी है तो  अवसर भी उतना ही बड़ा है. आज सारा विश्व भारत की तरफ देख रहा है. जिस तरह से भारत अपने साहसिक और दूरदर्शी नेतृत्व और विवेकपूर्ण नीतियों के बल पर कोविड-जन्य विपरीत परिस्थितियों पर पार पाने में सफल हुआ है, वह सारे विश्व को अचंभित करने वाला है. कोविड-19 महामारी और रूस यूक्रेन संघर्ष के झटकों से निपटने में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण, भारत एक अन्यथा अंधेरे और उदास वैश्विक परिदृश्य में आशा की किरण के रूप में उभरा है। जहाँ जी20 में सम्मिलित विश्व की अनेक बड़ी अर्थ व्यवस्थाएं मुद्रास्फीति, घटती उत्पादकता, बढ़ती बेरोज़गारी और आने वाली मंदी की आशंका से जूझ रही हैं, वही भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूती से आगे बढ़ रही है. स्टॉक मार्केट अपने उच्चतम स्तरों पर है. स्टार्ट-अप संस्कृति छोटे छोटे शहरों में भी पाँव पसार रही है, चहुँ तरफ़ा निवेश भारत में आ रहा है. विदेश मुदा का बड़ा भंडार देश के पास है. दुनिया भर में फैले भारतीय उद्यमी और पेशेवर सफलता की नयी बुलंदियां छू रहे हैं. दुनिया हतप्रभ है, वो जानना चाहती है कि भारतीय नेतृत्व में ऐसा क्या जादू है कि इतनी प्रतिकूल परिस्थितियां भी भारत के बढ़ते क़दमों को नहीं रोक पायी.

 

कोविड के समय में भारत ने न केवल अपने देश वासियों की चिंता की और उन्हें कोरोना मुक्त किया बल्कि वैक्सीन मैत्री के माध्यम से दुनिया के अनेक देशों को वैक्सीन प्रदान कर महामारी से बचाया. यह भारत का विश्वरूप था जिसे पूरी दुनिया ने देखा और सराहा. ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की जिस अवधारणा को हम हमेशा से जीते आये हैं उसे भारत नेसाकार कर दिखायाऔर न केवल आर्थिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने अप्रतिम सफलता दिखाई बल्कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में नए प्रतिमान स्थापित कर दिए. जहाँ आज सारा विश्व अलग अलग खेमों में बंटा  हुआ दिखता है वहीं भारत एक ऐसा देश बन गया है जिसके या तो सभी दोस्त हैया फिर  जो नहीं है वो बनना चाहते है. रूस और अमेरिका जैसे दो धुर विरोधी, दोनों ही भारत को अपना निकट का मित्र मानते है. वहीं इजराइल और अरब लीग के देश भले ही एक दूसरे के विरोधी हो, भारत के वे दोनों ही अच्छे दोस्त है. ऐसे भारत का चमत्कारी नेतृत्व आज जी20 के शक्तिशाली समूह को मिला है. निस्संदेह न सिर्फ जी20 के देश बल्कि सारा विश्व आज भारत की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है.

 

भारत भी तत्परता के साथ अपने अनुभवों को दुनिया की बेहतरी के लिए साझा करना चाहता है. जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के द्वारा अपने नागरिकों को वित्तीय सुविधाएँ पहुँचाने, सरकार और सिस्टम के साथ जुड़ाव को गहरा करने, भ्रष्टाचार को कम करने और सेवाओं और सुविधाओं के शीघ्र और पारदर्शी वितरण को बढ़ावा देने का  कार्य किया है उसने भारत के नागरिको कों, विशेषतः गरीबों, वंचितों के जीवन को बदल दिया है और उन्नत किया है। भारत जी20 की अध्यक्षता के दौरान, वैश्विक समुदाय के लाभ के लिए इस क्षेत्र में अपनी सफलता की कहानियों को साझा करना चाहेगा। साथ ही भारत जलवायु और विकास एजेंडे को एकीकृत करने, छोटे और सीमांत किसानों का समर्थन करने, खाद्य सुरक्षा और पोषण बढ़ाने, वैश्विक कौशल अंतराल को संबोधित करने जैसे महत्वपूर्ण हित के क्षेत्रों में परिणाम देने की आकांक्षा रखेगा। भारत जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण क्षेत्रों में अपनी पहल की पहुंच और क्षमता को भी बढ़ावा देना चाहेगा, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा जोखिम पहल परियोजनाओं के द्वारा पहले ही किया जा रहा है.

 

पिछले माह अपने मासिक रेडियो संबोधन’मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम ने देश को इस अवसर का उपयोग करने को कहा। उन्होंने कहा हमें वैश्विक भलाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जी20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़े अवसर के रूप में आई है। हमें इस अवसर का पूरा उपयोग करना चाहिए और वैश्विक भलाई व विश्व कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। चाहे शांति हो या एकता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हो या सतत विकास, भारत के पास चुनौतियों से संबंधित समाधान हैं। हमने एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य की जो थीम दी है, वह हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

दरअसल हमारे पुरातन देश के इतिहास में यह एक बड़ा मुकाम है. दुनिया के 20 बड़े देशों के समूह जी20 की अध्यक्षता का अर्थ हैं कि भारत अगले एक साल दुनिया की 80 फीसदी जीडीपी वाले और दुनिया की 60 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले देशो के समूह को राह दिखाएगा। यह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करने का मौका तो होगा ही साथ ही दुनिया को अपनी संस्कृति से परिचित कराने का एक अवसर भी होगा.

अगले एक साल के दौरान देश में जी-20 देशों की 200 बैठके होंगी, जो बड़े विचार पूर्वक देश के 50 विभिन्न शहरों में आयोजित की जाएँगी। बड़े-छोटे ये शहर देश की हर दिशा से चयनित होंगे. इस तरह भारत के पास दुनिया के सामने हमारी संस्कृति और धरोहर पेश करने का बड़ा मौका होगा। ‘विश्व स्वरुप’ भारत के इस अवतरण के पीछे हमारी हजारों वर्षों की यात्रा जुड़ी है, अनंत अनुभव जुड़े हैं। उन सब को भी दुनिया से साझा करने का यह एक अप्रतिम अवसर होगा.

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..