रेल टिकट किराये का अजब खेल

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लखनऊ (जनमत):- कोरोना वैश्विक महामारी फैलने से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू 23 व 24 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा निर्देशित सभी जनता अपने-अपने घरों में  सुरक्षित रहें  25 मार्च से अब तक 3 चरणों में लॉक डाउन की घोषणा 17 मई तक हो चुकी है जो  जनता या मजदूर जहां थे वहीं फसे रह गए|

हालांकि इस बीच लोगों को तमाम तरह की सहूलियतें भी मिली। जिसका असर सड़को पर देखा भी जा रहा है। लोगों को जो सहूलियतें मिली थी उनमे लोगों की घर वापसी भी एक थी। ऐसे में सरकारों के साथ ही विपक्षी पार्टी के नेताओं ने भी प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर उनका रेल किराया देने की बात कही। हालांकि इनके दावों के इतर जो प्रवासी मजदूर या फिर अन्य लोग जो  रेल से आ रहे है  उनसे किराया वसूला जा रहा है।  ट्रेन से आने वाले यात्री ही टिकट दिखाकर  इस बात की तस्दीक कर रहे है कि उनसे किराया वसूला गया है। अब सत्य कौन बोल रहा है मजदूर या रेल प्रशासन?

1 मई से चलाई गई तमाम श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले मजदूरों के लिए रेलवे द्वारा 85 फीसदी  एवं राज्य सरकार द्वारा 15 फीसदी किराया वहन करने की बात की जा रही है। लेकिन इन ट्रेनों से सफर करके पहुंचे सैकड़ों मजदूरों के पास उपलब्ध टिकट कुछ औ  ही बयां कर रहे हैं। इन श्रमिकों को कहना है कि वह जिस स्थान से ट्रेन पकड़कर चढ़े थे, वहां संबंधित राज्य सरकार ने टिकट की एवज में उनसे किराया लिया। उत्तर प्रदेश के जिले प्रयागराज में पहुंचे श्रमिकों ने अपने टिकट भी दिखाए।

आप को बता दे प्रयागराज में अब तक आठवीं श्रमिक स्पेशल आ चुकी हैं। इस ट्रेन से आए श्रमिकों के पास जो टिकट थे उस टिकट में सूरत से प्रयागराज तक का किराया 595 रुपये अंकित था।  कुछ श्रमिकों का आरोप था कि सूरत में इस टिकट के लिए ठेकेदारों एवं कुछ अन्य लोगों ने 700 से एक हजार रुपये तक वसूले।यह कहते हुए की किसी यात्री से किराया नहीं लिया जाएगा लेकिन वही सूरत से गोरखपुर पहुंचने वाले कुछ यात्रियों ने बताया कि हम लोग किराया देकर आए हैं कुछ यात्रियों ने बताया कि 1500 किराया दिए हैं तो कुछ यात्रियों ने बताया कि साढ़े छ सौ किराया दिए हैं|

केंद्र सरकार व रेल मंत्रालय कह रही है कि मजदूरों को फ्री  में पहुंचाया जा रहा है अब किसकी बात सत्य है लेकिन मजदूर के हाथों में वर्तमान का टिकट भी मौजूद है अब सत्य कौन बोल रहा है मजदूर रेल प्रशासन या  सरकार लेकिन यूपी सरकार  गोरखपुर रेलवे स्टेशन से आए हुए यात्रियों को उनके गृह जनपद तक फ्री में पहुंचाने का कार्य अपनी रोडवेज की बसों से करा रही है और साथ ही  साथ फल बिस्किट पानी लाई भुजा  भी दे  रही है जिससे मजदूर  खुश है|

वहीं रेलवे अफसरों का कहना है कि रेलवे बोर्ड की गाइड लाइन है कि वह टिकटों को प्रशासन के हवाले करेगा और प्रशासन ही वह टिकट श्रमिकों को उपलब्ध कराएगा। प्रयागराज के डीआरएम(D.R.M) अमिताभ भी  इसकी पुष्टि कुछ दिन पहले कर चुके हैं। उधर रेलवे द्वारा किराये में जो 85 फीसदी की छूट देने की बात कही गई है उसका गणित कुछ और ही है। दरअसल रेलवे आमतौर पर जो भी किराया यात्रियों से लेती है उसमें 40 से 43 फीसदी की सब्सिडी शामिल होती है।

अभी श्रमिकस्पेशल जो चल रही हैं उसमें सोशल डिस्टेंसिंह बना कर यात्रियों को बैठाया जा रहा है जिस की वजा से ट्रेन की पूरी सीटें बुक नहीं की हो पा रही है। जैसे की स्लीपर कोच में 80 बर्थ है तो उसमें 50 बर्थ ही यात्रियों को आवंटित की जा रही हैं। इस आवंटित में बोगी की मिडिल बर्थ और एक साइड अपर बर्थ बुक नहीं की जा रही। वही जब ट्रेन खाली हो जाती है तो वो वापस खाली ही अपने गंतव्य स्टेशन तक जाती है।

इस दौरान ऑपरेटिंग का जोखर्चा आ रहा है वह भी इसमें जोड़ा जा रहा है। इसी कुल खर्च को जोड़कर 85 फीसदी दिखाने का प्रयास किया गया है। हालांकिरेलवे अफसर इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। हालांकि किराये में छूट कारेलवे की ओर से कोई सर्कुलर भी जारी नहीं किया गया है। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि किराये में 85 फीसदी की छूट किसी भ्रामक जानकारी से कम नहीं है।

Posted By:- Amitabh Chaubey