कंडम बसों से यात्रियों को सफर कराने को यूपी परिवहन निगम “मजबूर”…

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अलीगढ़  (जनमत) :- यूपी के अलीगढ़ जिले में 90 से ज्यादा रोडवेज बसें शासन के मानकों को पूरा कर बूढ़ी होकर खराब पड़ी हुई हैं। तमाम समस्याओं के चलते ये बसें डिपो में ही खड़ी हुई हैं। टायर से लेकर बैटरी या मेकेनिकल खराबी के चलते इन बसों को सड़कों पर दौड़ाया नहीं जा सकता है। वहीं 90 से अधिक कंडम बसों से यात्रियों को सफर कराने के लिए परिवहन निगम मजबूर है।वहीं 90 बस ऐसी भी हैं, जो कंडम की सीमा को पार कर चुकी हैं।लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर दिन रात दौड़ रही हैं। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता, तब तक यह बसें दौड़ती रहेंगी।

उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में परिवहन निगम की आधी से ज्यादा बसें वर्कशॉप में खड़ी होकर धूल फाकती रहती हैं यह बात पूरी तरह से सत्य है। जहां ज्यादातर बसों के वर्कशॉप में खड़े होने के चलते रोडवेज बसों में सफर करने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आलम यह है कि आगरा, मुरादाबाद, बदायूं, एटा, कासगंज रूट पर घंटों बाद अगर कोई बस आ जाए तो उन रोडवेज की बसों में चढ़ने के लिए लोग आपस में धक्का-मुक्की करते हैं। रोडवेज बसों में सीट पाना तो दूर कई बार लोग बसों में खड़े-खड़े सफर करने को तैयार रहते हैं। लेकिन यात्रियों से खचाखच भरी भीड़ भाड़ के चलते रोडवेज बसों में यात्रियों के हाथ सिर्फ मायूसी ही रहती है

आपको बता दें अलीगढ़ डिपो के पास कुल 115 बसों के संचालन का जिम्मा है। पिछले 3 दिनों में क्रमश 52 बस ही निकल पाई है। आधी बसों के चलने का मूल कारण वर्कशॉप में खराब पड़ी बस व स्टाफ की कमी है। जिसके चलते ऐसे में रूट पर एकदम से बसों की संख्या कम हो गई है।मंडल की तकरीबन 180 बसें है। जो 10 लाख किलोमीटर चल चुकी है। जो रोडवेज की बसे नीलामी के लिए ही बची है। लेकिन पिछले 3 सालों में एक भी बस अलीगढ़ को नहीं मिली तो वही सड़कों पर फर्राटे भरने के चलते चलते कई बसें खराब हो जाती हैं। जिसके लिए सड़कों पर खड़े होकर स्पेयर पार्ट का इंतजार किया जाता है।अगर अलीगढ़ के रोडवेज बस अड्डे की बात करें या फिर रूट पर सासनी, हाथरस या आगरा सभी जगह बसों की किल्लत का खामियाजा यात्रियों को सहना पड़ता हैं। कई घंटों के इंतजार के बाद अगर बस मिल जाए तो उसमें चढ़ना यात्रियों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इसलिए रोडवेज की बस में चढ़ने के लिए लोग धक्का-मुक्की तक करते हैं।

बता दें कि यूपी शासन ने दस साल और 11 लाख किलोमीटर का मानक रोडवेज बसों के लिए कंडम के लिए माना है। जबकि मंडल में 180 बसें ऐसी हैं। जो शासन की इन दोनों शर्तों को पूरा कर चुकी हैं। इसके बावजूद यात्रियों को ढो रही हैं। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता, तब तक यह बसें दौड़ती रहेंगी। इसके अलावा 150 से अधिक बसें विभिन्न कमियों के चलते खड़ी हैं। बैटरी, टायर, इंजन में खराबी या अन्य तकनीकी कमी है, लेकिन इसको दुरुस्त करने के लिए कोई सामान नहीं आ रहा है। सामान के अभाव में वर्कशॉप पर रोडवेज बस खड़ी हैं, सामान आते ही इन्हें दुरुस्त करवा लिया जाएगा। कंडम बसों की सूची तैयार कराएंगे। अगर ये बसें चलने की हालत में नहीं होंगी तो इनकी नीलामी कराई जाएगी। क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम मोहम्मद परवेज खान ने बताया कि बात सत्य है। लेकिन रोडवेज बसों के संचालन में कुछ दिक्कत है।आगरा और अन्य रूट पर 20 बसें बढ़ाई गई है। हाथरस, एटा की बस लखनऊ चली गई है। तो इसके लिए अन्य बसों के चक्कर बढ़वाए जाएंगे प्रयास रहेगा। जल्द इस समस्या का निस्तारण किया जाए।

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…

REPORT- AJAY KUMAR…