सावन में खंडित शिवलिंग की पूजा

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कौशांबी (जनमत):- कहावत है हिन्दू धर्म मे खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित है लेकिन कौशांबी के कडा धाम स्थित महाकालेश्वर मठ मे खंडित शिव लिंग की पूजा की जाती है| मान्यता है कि खंडित शिव लिंग की पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है| मठ के महंत व आस पास के लोगों की माने तो गंगा किनारे स्थित इस शिव लिंग को महाभारत काल मे पांडु पुत्र युधिष्टिर ने अपने आज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था| कालांतर मे जब औरंगजेब ने भारत के मंदिरों पर आक्रमण किया था तो कालेश्वर मंदिर पर भी उसके सैनिकों ने धावा बोला था| उस समय मठ मे रहने वाले महंत उमराव गिरि जी महाराज उर्फ नागा बाबा ने रक्षार्थ भोले नाथ की आराधना किया लेकिन सैनिको पल पल पास आते जा रहे थे तब क्रोधित नागा बाबा ने शिव लिंग पर अपने फरसे से प्रहार कर दिया|

इस पर शिव लिंग से असंख्य भौरे (मधुमक्खी) निकाल कर औरंगजेब के सेना पर टूट पड़ी और उसे मार गिराया| तब से आज तक इस खंडित शिव लिंग की लगातार पूजा की जा रही है|  श्रावण मास में यहाँ की महत्वा और बढ़ जाती है दूर दराज से भक्तजन आकर महाकालेश्वर महादेव के दर्शन कर रुद्राभिषेक किया करते हैं। शक्तिपीठ माँ शीतला धाम के नजदीक गंगा तट पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना के बारे मे जो किवदंती है उसके मुताबिक महाभारत काल मे कडा धाम को करोकोटक वन के नाम से जाना जाता था| इसी करोकोटक वन मे पांडु पुत्रों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय व्यतीत किया था| अज्ञातवास के दौरान ही धर्मराज युधिष्टिर ने यहाँ शिव लिंग की स्थापना कर परिवार सहित पूजन किया था| कालांतर मे यहाँ मठ बना और उमराव गिरि जी महाराज उर्फ नागा बाबा जिन्हे आल्हा-उदल का गुरु भी कहा जाता है यहा के महंत बने|

मठ के महंत जंगल बाबा की माने तो भारत मे जब औरंगजेब ने आक्रमण कर मंदिरो को तहस नहस करना शुरू किया तो उसके सैनिको ने यहा भी धावा बोला| उस समय नागा बाबा ने सैनिको से मंदिर को बचाने के लिए शिव लिंग की पूजा किया लेकिन सैनिक पल पल नजदीक आते गए| इस पर नागा बाबा क्रोधित हो गए और अपने फरसे से शिव लिंग पर प्रहार कर दिया| पहले प्रहार से शिव लिंग खंडित हुआ और उससे खून की धारा निकल गंगा तक पहुँच गई| दूसरे प्रहार से शिव लिंग से दूध की धारा निकली वह भी गंगा मे समाहित हो गई| जबकि तीसरे प्रहार से शिव लिंग से असंख्य भौरे  (मधुमक्खियाँ) निकली और औरंगजेब की सेना पर टूट पड़ी| अचानक हुये मधुमक्खियों के हमले से सेना मे भगदड़ मच गई| अधिकतर सेना वहीं मारी गई और जो बची वह किसी तरह से भाग निकली| कहते है इसके बाद औरंगजेब भी यहाँ का भक्त बन गया था| इस घटना के बाद से आज तक खंडित शिव लिंग अपनी जगह पर स्थापित है और बिना किसी संकोच धार्मिक धारणाओं को परे रख भक्तगण पूजा पाठ करते हैं|

भक्तों का मानना है कि इस मंदिर मे पूजा करने वाले भक्तो पर भोले नाथ बाबा का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है, उन पर कभी कोई संकट नहीं आता| वैसे तो कालेश्वर महादेव के दर्शन भक्तजन साल के बारा महीने करते रहते हैं लेकिन मान्यता है कि श्रावण मास में इसकी महत्ता बढ़ जाती है जनपद के अलावा गैर प्रदेश से भी लोग पूजन अर्चन और दर्शन के लिए आते हैं और भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी करते हैं लोगों में मान्यता है कि  श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फल मिलता है।

Posted By:- Amitabh Chaubey              Reported By:- Rahul Bhatt