स्वच्छ भारत की असल तस्वीर

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मुजफ्फरनगर(जनमत). सरकार भले ही लाख दावे कर ले मगर रहमत पुर में स्थिति बद से बत्तर होती जा रही है बात जिम्मेदारी की आती है तो बोलती बंद हो जाती हैं|जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के उस चर्चित शहर की जहाँ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर बनकर पूरे भारत में उठी थी जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत को स्वच्छता की ओर बढ़ाने का दावा किया था|

मगर जनपद मुजफ्फरनगर के गांव रहमत पुर में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और अधिकारी है कि  आंख बंद कर कुंभकरण की नींद सो रहे हैं, रहमत पुर की गाँव में घुसते ही ऐसा लगा कि मानो गांव कूड़े के ढेर पर बसा हो जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं और यदि आंगनबाड़ी केंद्र की बात करें तो आंगनबाड़ी केंद्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ ज्ञान पाने के लिए आए बच्चे तो हैं, मगर उन्हें शौचालय जाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र का शौचालय बरसों से ठप पड़ा है जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चे आज भी खुले में शौच करने को है मजबूर|

जब इस विषय में आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता से पूछा गया कि यह जिमेदारी और लापरवाही किसकी है तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बोलती बंद हो गई, ओर अंदर गांव की यदि स्थिति देखी जाए तो जगह-जगह गंदे पानी से जलभराव की समस्या प्रत्येक चौराहों पर है जब इस विषय में ग्राम प्रधान पति से बात की गई तो उन्होंने सारा ठीकरा अपने सफाई कर्मचारी मांगेराम पर फोड़ दिया और बोले मात्र कुछ घंटे काम करता है|

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर रही है तो फिर भी गांव सुना क्यों आखिर रहमत पुर गांव के ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारी तक एक दूसरे पर जिमेदारी का ठीकरा फोड़ रहे हैं तो वही मामला जिला स्तरीय अधिकारियों तक पहुंचने पर अधिकारी स्वयं जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं आज भी जनपद मुजफ्फरनगर में ऐसे कई गांव है जहां सड़कों पर गंदा पानी वह कूड़े के ढेर नजर आएंगे मगर अपनी जिमेदारी कब समझेंगे यह लोग