भारत में भी अपना सकते हैं, दुनिया में पानी बचाने के 5 इनोवेटिव तरीके

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लाइफस्टाइल (Janmat News): देश की बड़ी आबादी भयंकर जल संकट से जूझ रही है। इस बार की गर्मियों के दृश्य और आंकड़े डराने वाले है। गांव-देहातों की स्थिति और भी बदतर होती जा रही है। 600 से 800 फीट जमीन के नीचे भी पानी नहीं मिल रहा और लोग मीलों दूर से पानी ढोकर लाने या फिर दूषित पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर के देश जलसंकट का सामना कर रहे हैं, लेकिन सिंगापुर से लेकर जापान तक लोग अनोखे तरीके अपनाकर इस संकट का समाधान भी कर रहे हैं। ऐसे  ही 5 इनोवेटिव तरीके जिन्हें भारत में भी अपनाकर संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

तौर-तरीके जो जलसंकट दूर करने के गवाह बने

  1. जापान: नहाने के लिए एक ही पानी का पुन:प्रयोग

    यहां एक ही पानी का इस्तेमाल कई बार किया जाता है। नहाने के लिए वॉटर स्प्रे और बाथटब का प्रयोग करते हैं। पहले वाटर स्प्रे शरीर को भिगोते हैं, फिर बाथटब में वाटर डिसइंफेक्टेंट डालकर इसमें बैठते हैं। इस बाथटब वाटर का इस्तेमाल परिवार के कई सदस्य बारी-बारी करते हैं। बाद में इस पानी का इस्तेमाल घर और कपड़े की सफाई में किया जाता है। वॉशिंग मशीन और घर की धुलाई में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भी जापान के ज्यादातर घरों में बेसिन के पानी का इस्तेमाल टॉयलेट की सफाई के लिए होता है। नल से हाथ धोने के बाद पानी बेसिन के नीचे स्टोर बॉक्स में इकट्ठा होकर टॉयलेट के फ्लशटैंक में जाता है। यहां से इसका इस्तेमाल किया जाता है।

  2. चीन: फिश बेसिन से पानी की बचत का अनोखा फॉर्मूला

    चीन के डिजाइनर यान लू ने एक दशक से पहले लिटिल फिश बेसिन बनाया। यह अपनी बनावट के कारण चीन में काफी लोकप्रिय हुआ और घरों में इस्तेमाल भी किया गया। इसमें बेसिन के ऊपर फिश जार बनाकर इसमें मछली छोड़ी गई। हाथ धोने के दौरान फिश जार का पानी कम होने लगता है जो पानी को कम से कम इस्तेमाल करने की याद दिलाता है। हाथ धोने के बाद वापस जार में पानी भर जाता है। सिंक से निकले पानी का इस्तेमाल सफाई जैसे कामों के लिए किया जा सकता है।

  3. सिंगापुर : 4 लीटर पानी से स्नान और स्प्रे से धुलाई

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    सिंगापुर में पानी बचाने के लिए अनोखा तरीका निकाला गया है। इसके मुताबिक, एक इंसान नहाने के लिए 4 लीटर पानी का इस्तेमाल करेगा और फर्श धोने के लिए स्प्रे का प्रयोग करेगा। बाथरूम में मॉडिफाई शॉवर लगवाए जा रहे हैं जिसमें वाटर प्रेशर ऐसा है कि एक इंसान 5 मिनट के अंदर मात्र 4 लीटर पानी से नहा सकता है। वर्तमान में सिंगापुर पानी के लिए मलेशिया पर आश्रित है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2040 तक सिंगापुर पानी की भयंकर किल्लत से जूझेगा। इसे ध्यान में रखते हुए दैनिक जीवन में पानी का इस्तेमाल 8% तक कम करने की मुहिम चलाई जा रही है।

  4. अफ्रीका: लीकेज दुरुस्त कर 30 फीसदी पानी बचाया

    दक्षिण अफ्रीका के मशहूर केपटाउन शहर में समुद्र से घिरे होने के बावजूद डे-जीरो वाली स्थितियां बन गई हैं। यहां पानी लगभग खत्म होने लगा तो लोगों और सरकार ने मिलकर सबसे पहले उन जगहों को ढूंढ़ा जहां पानी व्यर्थ बहता है। तमाम उपायों के बीच लोगों से पानी का कम से कम इस्तेमाल करने की अपील की गई। इसके लिए स्कूलों में बच्चों को पानी बचाने की ट्रेनिंग दी गई। केपटाउन की 20,574 जगहों पर लीकेज के कारण हो रही पानी की बर्बादी को रोका गया। पुरानी पाइपलाइन को बदला गया। गोल्फ कोर्स और पार्कों में सिर्फ ट्रीटेट पानी का इस्तेमाल हुआ। नतीजा ये रहा कि जनसंख्या में बढ़ोतरी के बाद भी पानी की बर्बादी 30 फीसदी तक कम हुई है, डे-जीरो से कुछ राहत मिली है।

  5. यूरोप : एसी और आरओ वाटर से कपड़ों की धुलाई

    एसी और आरओ से निकले पानी का इस्तेमाल इंग्लैंड, डेनमार्क समेत यूरोप के कई देशों में बागवानी और कपड़ों की धुलाई के लिए किया जा रहा है। यहां से निकलने वाले पानी को पाइप के जरिए स्टोरेज टैंक तक पहुंचाया जा रहा है जहां से इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है- एक आरओ मशीन से औसत 20 लीटर पानी शुद्ध पेयजल प्राप्त होता है। इसे तैयार करने में 50 लीटर पानी बेकार बाहर निकलता है। औसत निकालें तो लगभग दो लाख लीटर पानी इन मशीनों से खराब बताकर बाहर फेंका जाता है। जिसे बचाकर जलसंकट से बचा जा सकता है।

 

 

Posted By: Priyamvada M