“न्याय” कभी भी तत्काल में नहीं किया जाना चाहिए…

देश – विदेश

देश/विदेश (जनमत) :- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने पर  बड़ा बयान दिया है। जोधपुर में एक कार्यक्रम में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी तत्काल में नहीं किया जाना चाहिए, न्याय कभी भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो यह अपना मूल चरित्र खो देता है। देखा जाएँ तो एक ओर पुलिस के इस कारनामे पर वाहवाही हो रही है वहीं कई लोग इसपर सवाल उठा रहे हैं।  इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपनी स्थिति और लापरवाही के प्रति अपने दृष्टिकोण और रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए, लेकिन अंतिम समय तक अपराध का निपटारा कानून के तहत ही होना चाहिए।

राजस्थान हाईकोर्ट की नई इमारत के उद्घाटन समारोह में शामिल होने जोधपुर पहुंचे जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, मैं नहीं समझता हूं कि न्याय कभी भी जल्दबाजी में किया जाना चाहिए, मैं समझता हूं कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो ये अपना मूल चरित्र खो देता है। सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि देश में हालिया घटनाओं ने नए जोश के साथ पुरानी बहस छेड़ दी है। वहीँ न्याय पाने का अधिकार सभी का है चाहे वो आरोपी हो या फिर पीड़ित दोनों ही न्याय पाने के लिए ही अपनी अपनी लड़ाई लड़ते है और आखिर में सत्य की ही जीत होती है.

Posted By :- Ankush Pal