मौत के साये मे नौनिहालों का भविष्य

UP Special News क्षेत्रीय समाचार

अमेठी (जनमत) : सरकार भले ही बच्चो की शिक्षा पर हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। परन्तु इसके बावजूद बच्चों के शैक्षिक स्तर में न तो सुधार हो पा रहा है और न ही बच्चों के लिए स्कूलों में सुरक्षित छत मुहैया हो पा रही है।

अमेठी जिले के भेवई गांव स्थित उच्चप्राथमिक विद्यालय में बच्चो के बैठने के लिए जमीन तो है पर सर छुपाने के लिए मजबूत छत नहीं है। बच्चो के सिर पर हमेशा मौत का साये मंडराता रहता है। शायद यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। कई स्थानों पर भवन जर्जर होने के कारण छात्रों को दूसरे विद्यालयों में जाकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रह रही है।

सूबे में कई ऐसे स्कूल है जहां छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा जाता है। कही बैठने के उचित व्यवस्था नहीं है, तो कही सर छुपाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए छत नहीं है। जो बिल्डिंग है भी वह मात्र शोपीस बनकर रह गए है. बच्चे इन विद्यालय मे अपना भविष्य बनाने जाते है वो भी मौत के साये मे रह कर..आखिर क्यू देश के नौनिहालों को शिक्षा के लिए जान का जोखिम उठाना पड़ता है ये भी एक बड़ा सवाल है……..

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