ईमानदार डीसीएम पर लगे झूठे आरोपों का हुआ “खुलासा”

ईमानदार डीसीएम पर लगे झूठे आरोपों का हुआ “खुलासा”

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लखनऊ(जनमत). जहां एक ओर महिलाओं के उत्पीडन पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है वहीँ प्राय कई ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं जिसमे पुरुषों को फंसाया जाता है और उत्पीडन के नाम पर वरिष्ठ अधिकारीयों का शोषण किया जा रहा है. ताज़े मामले में पूर्वोत्तर रेलवे के वाणिज्य विभाग में तैनात महिला रेलकर्मी ने कुछ दिनों पहले मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक श्री देवानन्द यादव पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था| इसी क्रम में सोमवार को महिला रेलकर्मी के पक्ष में कई महिला सगठन ने यूपी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता की और महिला कर्मचारी शिवानी कुकरेती के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को वापस लेने और ट्रांसफर निरस्त करने की मांग की| वही डीआरएम विजय लक्ष्मी कौशिक ने प्रेसवार्ता कर महिला कर्मी पर रेलवे की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया|

डीआरएम ने कहा की शिवानी कुकरेती महिला संगठनों की आड़ में रेलवे पर दबाव बना रही है और जानबुझकर रेलवे की छवि धूमिल कर रही है और महिला होने के नातेअघिकरियो पर दुर्व्यवहार व शोषण की शिकायते कर रही है वही रेल सेवा आचरण नियमो के खिलाफ यूपी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ताकरना इनकी अनुशासनहीनता को सिद्ध करता है ऐसे में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी| उनके खिलाफ पहले भी अधिकारियों से दुर्व्यवहार की बात कई बार आ चुकी है शिवानी कुकरेती ने इस से पहले भी कई अधिकारियों पर झूठा इल्जाम लगाया है| जो बाद मै जाच के बाद झूटी निकली वाणिज्य विभाग में कार्यालय अधीक्षक पद पर तैनात शिवानी कुकरेती ने इस बार मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक श्री देवानन्द यादव पर अभद्रता का आरोप लगाया और महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी| वही जब रेलवे ने जाच की तो सब इल्जाम झूठा पाया गया|

इसके बाद शिवानी कुकरेती का ट्रांसफर कर दिया गया| वही सोमवार को प्रेस क्लब में महिला संगठनों की प्रेसवार्ता में भारतीय महिला फेडरेशन की आशा मिश्रा ने बताया कि शिवानी कुकरेती महिला कर्मचारी कल्याण संगठन की महामंत्री है| जब उन के साथ ऐसा हो सकता है तो अन्य महिलाकर्मियो की स्थितियों को समझा जा सकता है| वही शिवानी कुकरेती का कहना है कि डीसीएम ने उनका एक्सीडेंट कराने का प्रयास किया| इतना ही नहीं अनुशासनात्मक करवाई करते हुए वाणिज्य विभाग से ट्रांसफर कर पीआरओ दफ्तर में तैनात के दिया|

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की जिन अधिकारीयों पर ऐसे झूठें और बेबुनियाद आरोप लगायें जातें हैं उनका पक्ष भी जानना जरूरी हो जाता है और मात्र दोषारोपण करने से किसी के चरित्र को लेकर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए जब तक की आरोप का कोई मजबूत आधार न हों और ऐसी महिलाओं के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए जो पुरुषों के चरित्र का दोहन कर रही है और महिला शशक्तिकरण  के नाम पर मिली ताकत का गलत प्रयोग करते हुए अपने उच्च अधिकारीयों को एक तरह  से “ब्लैकमेल” करने का काम करती है| ऐसी महिलाओं के गलत आरोप सिद्ध होने पर इनपर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए|