मोदी राम है तो योगी लक्ष्मण -- लालजी प्रसाद निर्मल

मोदी राम है तो योगी लक्ष्मण — लालजी प्रसाद निर्मल

UP Special News राजनीति

लखनऊ(जनमत). आम लोकसभा चुनाव में दलितों ने मायावती को दलित राजनीति से बाहर कर दिया है। यही नहीं अखिलेश यादव से जो मायावती का गठबंधन था वह अवसरवादी था और इसमें वोट का ट्रांसफर नहीं हुआ। यह दावा योगी सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री लालजी प्रसाद निर्मल का है। लखनऊ में दर्जा प्राप्त मंत्री ने यह भी कहा कि मायावती खुद को दलितों की नेता कहना बंद करे। उन्होंने कहा कि वह अब सिर्फ एक जाति की ही नेता बनकर रह गई है। साथ ही भाजपा को मिली प्रचंड जीत का गुणगान करते हुए लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा है कि योगी और मोदी राम लखन की जोड़ी है।

भारतीय जनता पार्टी को मिली प्रचंड जीत के बाद योगी सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री और अनुसूचित जाति वित्त निगम के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल द्वारा अचानक बुलाई गई प्रेस वार्ता में वह बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर हमलावर रहे। प्रेस वार्ता में दर्जा प्राप्त मंत्री ने कहा कि मायावती ने सिर्फ दलितों को छला है। निर्मल के मुताबिक टिकट बेचने वाला खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझ बैठा था। दर्जा प्राप्त मंत्री ने बताया कि वह खुद दलित विधा से ताल्लुक रखते है और चुनाव में वह सैकड़ो दलित बस्तियों में गए थे। दलित बस्तियों के लोगों ने खुद मायावती का बहिस्कार कर रक्खा है। निर्मल ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओ के चलते भारत की राजनीती जातिवाद से मुक्त होकर नए युग में प्रवेश कर रही है। साथ ही निर्मल ने यह भी कहा कि मायावती और अखिलेश के गठबंधन के अहंकार रुपी रावण को मोदी और योगी की जोड़ी ने इस चुनाव में परास्त कर दिया है। बिन मांगे सलाह देने वाले लालजी प्रसाद निर्मल ने बसपा सुप्रीमो मायवती को राजनीती से सन्यास लेने की सलाह दी है।

2014 लोकसभा के आमचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया था लेकिन 2019 के चुनाव की बात की जाये तो बसपा को यूपी में 10 सीट मिली है। इन सबसे हटकर योगी सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री लालजी प्रसाद निर्मल का दावा है कि मायावती को दलितों ने पूरी से तरह से ख़ारिज कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमेशा हमलवार रहे लालजी प्रसाद निर्मल ने इस बार सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर भी जमकर अपनी भड़ास निकाली और कहा कि अखिलेश को समझ में आ गया है कि दलित उन्हें किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेगा। वोटो के प्रतिशत का गणित समझाते हुए निर्मल ने यह भी कहा कि बसपा और सपा दोनों के ही वोट प्रतिशत में कमी आई है। वोट प्रतिशत में कमी का मतलब जनता ने जातिवादि को ख़ारिज कर दिया है।