यात्री “जनता खाना” की खोज में....रेलवे अधिकारी ए0सी0 कमरों की मौज में!....

यात्री “जनता खाना” की खोज में….रेलवे अधिकारी ए0सी0 कमरों की मौज में!….

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एक्सक्लूसिव न्यूज़(जनमत):- रेलवे स्टेशन पर 15 रुपए में मिलने वाला “जनता खाना” इन दिनों यात्रियों को नहीं मिल रहा है। इस “जनता खाना” में सात पूड़ियां, सब्जी व अचार यात्रियों को मिलता था| हम बात कर रहे है चारबाग रेलवे स्टेशन व लखनऊ जंक्शन की जहा ‘जनता खाना’ धीरे-धीरे स्टॉलों से गायब किया जा रहा है। जिसकी की मेन वजह है यात्रियों को महंगे खाने दिया जाये| पिछले वर्ष तक लगभग 600 से 700 पैकेट ‘जनता खाना’ स्टेशनों पर आते और बिक जाते अब बमुश्किल लगभग 150 पैकेट ही स्टेशनों पर लाए जा रहे हैं। यही नहीं ये “जनता खाना” यात्रियों को बस सुबह के समय ही मिल पाता है।

दरअसल, कमीशन वेंडरों के स्टॉल बंद होने से यह परेशानी हुई है। जबकि रेलवे का आदेश है कि यात्रियों के लिए इस खाने को रखना अनिवार्य है। ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्री या तो सामान्य वर्ग के होते है या फिर गरीब वर्ग के होते है| इन्ही लोगो को देखते हुए रेलवे मंत्रालय ने  ‘जनता खाना’ की शुरुआत की थी। रेलवे बोर्ड ने रेलवे स्टेशनों व ट्रेनों में “जनता खाना” की सप्लाई को जरुरी कर दिया। आरंभ में स्टेशन के स्टॉलों पर इस “जनता खाने” को रखा जाने लगा। नए कैटरिंग रेट में इसकी कीमत 20 रुपये तो कर दी गई, पर वही धीरे-धीरे इसके पैकेटो की संख्या को कम किया जा रहा हैं। अब तो स्टेशन के  कुछ चुने हुए  स्टॉलों पर ही ‘जनता खाना’ के पैकेट देखने को मिलते हैं, वो भी बहुत कम संख्या में।

वही जब कोई  अधिकारि निरीक्षण या दौरों पर जाता है तो ये ‘जनता खाना’ स्टॉलों पर भरपूर मात्र में मिलता है। वही यात्रियों ने बतया की जब स्टॉलों पर ‘जनता खाना’ मांगो तो वह ‘जनता मील’  थमा देते हैं। ‘जनता मील’ की कीमत लगभग 40 से 45 रुपये होती है। ऐसे में यात्रियों को सस्ता खाना नहीं मिल पा रहा है। वहीं जब स्टॉल के स्वामियों से  ‘जनता खाना’  के बारे मै पूछा गया तो उनलोग ने भी हैरान करने वाली बात बताई कि ‘जनता खाना’ बनाया तो जाता है, पर बहुत ही कम मात्र में| वही यात्रियो ने बतया कि ट्रेन में जब पैंट्रीकार स्वामी  से ‘जनता खाना’ मागा जाता है तो  ठेकेदार सुनते को तैयार नहीं होते ।

जब इस की  शिकाय रेलवे के बड़े अधिकारियों से की जाती है तो भी कोई करवाई नहीं होती। वेंडर्स की मिलीभगत से बीच-बीच में “जनता खाना” गायब कर दिया जा रहा है। जिसकी जगह यात्रियों को तीस रुपये में मात्र 2 पूड़ी और थोड़ी सी सब्जी देकर चूना लगाया जा रहा है, वहीं यात्रियों के सेहत के साथ भी  खिलवाड़ किया जा रहा है। वही अगर ‘जनता खाना’ स्टॉलों से धीरे-धीरे गायब हो रहा है तो उसके पीछे सिर्फ अघिक मुनाफे  कमाने का है। वेंडर्स को  ‘जनता खाना’ से कोई बहुत लाभ नहीं होता था। जिस की वजह से अब इसे धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया।

डीआरयूसीसी मेंबर एसएस उप्पल का कहना है कि  ‘जनता खाना’ षड्यंत् के तहत स्टॉलों से अब धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है ताकि महंगा खाना स्टेशन पर बिकवाया जा सके  इसमें अफसरों की साठगांठ की जांच करानी चाहिए। जब इस ‘जनता खाना” को ले कर उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार के पुचा गया तो उन्होंने बताया की स्टॉलों पर नियमित रूप से ‘जनता खाना” रखना बेहद आवश्यक है। इसमें लापरवाही बरतने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसकेलिए अभियान भी चलाया जा रहा  हैं, ताकि यात्रियो की  सुविधाओं में कोई भी ढिलाई न बरती जा सके।

Posted By:- Amitabh Chaubey