सोनभद्र स्थित सेवा कुंज आश्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आदिवासी समागम सभा में लिया भाग

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी रहे मौजूद 

 

सोनभद्र (जनमत न्यूज) :- चार राज्यों की सीमा से छुता हुआ सोनभद्र जनपद अपने आप में ही बहुत महत्व रखता है। यह जनपद आदिवासियों व गृहवासियों से भरा पड़ा है वहीं खनिज संपदा के मामले में सबसे ज्यादा परिपूर्ण है। इस विरसा मुण्डा की धरती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लगभग 11 बजे मंच पर पहुंचे और एक बजे तक सोंनभद्र में रहे। अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 20 वर्ष पहले भी वह बभनी के सेवा कुंज आश्रम में आ चुके हैं उस समय वह सांसद थे और उस समय उन्होंने सांसद निधि से कुछ सहयोग भी किया था। कार्यक्रम में भारी संख्या में आदिवासियों की मौजूदगी रही। मंच पर सीएम योगी आदित्य नाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से बोलते हुए कहा प्रदेश सरकार सोनभद्र के विकास के लिए प्रयत्नशील है और कई विकास योजनाएं यहां पर चल रही हैं। इसके साथ ही सोंनभद्र में जल्द ही मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहाकि मेडिकल कालेज जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा और यहां के निवासियों को इलाज के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

वनवासी समाज से वर्षों पुराने संबंधों को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने ताजा करते हुए मंच से उन्होंने वनवासियों को संबोधित करते हुए कहाकि आपको देखकर 20 वर्ष पूर्व चक चपकी में मेरे द्वारा किए गए कार्य से मुझे गर्व हो रहा है। कहा कि तब एक पौध लगाई गई थी, जो आज बड़े वृक्ष का रूप ले लिया है। भोजपुरी में भाषण की शुरूआत जैसे ही राष्ट्रपति ने की, पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सेवाकुंज आश्रम का यह प्रयास जल्द ही दुनिया में दिखाई देगा। देश के लोगों से आह्वान किया कि उन्हें ग्रामीण व वनवासी अंचलों में बसे समाज को देखना है तो वह सोनभद्र आएं। वनवासी समाज के सभी समस्याओं को दूर करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मुख्यमंत्री वनवासियों को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाएं। वनवासियों से आह्वान किया कि आप अपने लोक संस्कृति को संजोएं रखें, यही आप की मूल पहचान है। आश्रम से अपने जुड़े अनुभव को साझा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष ही मैं आप लोगों से मिलना चाहता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ऐसा नहीं हो सका। यदि कोई भी भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है तो उसे सोनभद्र जैसे स्थान में कुछ समय बिताना चाहिए। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग सेवाकुंज आश्रम के उत्थान में हुआ।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहाकि राम-राम के अभिवादन की संकल्पना का अर्थ है कि भगवान राम ने वनवासी, गिरिवासी समाज के लोगों को एकजुट कर विजय प्राप्त की थी। इसी संकल्पना की आज भी जरूरत है। जब तक आदिवासी समाज को साथ लेकर विकास नहीं किया जाएगा तब तक देश का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता है।
ये बातें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने वनवासी समागम के दौरान अपने उद्बोधन में तब कही जब आश्रम की दो महिलाओं ने उनका स्वागत राम-राम से अभिवादन कर किया। उन्होंने आदिवासी समाज की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश के सोनभद्र का यह इलाका आसपास के चार राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश आधुनिक विकास का केंद्र बनेगा।

इसके पूर्व उनके स्वागत में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम चंद्र खराड़ी ने कहा कि हम वनवासी समाज के लोग राष्ट्रपति को अपने बीच पाकर गौरवान्वित तो महसूस कर रहे हैं लेकिन हमारे समाज को पूरी तरह से सम्मान नहीं मिला है। लंबी लड़ाई के बाद इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा अटल बिहारी सरकार ने दे दिया। अंग्रेजों का वन कानून भी समाप्त कर दिया गया, लेकिन बीच के वर्षों में जनजाति समाज के लोगों को भ्रमित किया जाता रहा है कि वे हिदू नहीं हैं। ऐसे लोगों से जनजाति समाज सजग रहे। हम सनातनी हिदू हैं। ऐसी परिस्थिति में हमें रोटी, कपड़ा और मकान के साथ अपनी अस्मिता को संरक्षित रखने की जरूरत है। इसके लिए वनवासी सेवा आश्रम काफी काम कर रहा है। हमारे समाज के पढ़े-लिखे लोग भी अपने लोगों को सजग करें। समागम उद्बोधन की शुरुआत जहां राष्ट्रपति ने मां विध्यवासिनी और मां ज्वाला के नमन से किया, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जय श्रीराम और भगवान बिरसा मुंडा की जय से किया। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आनुशांगिक प्रकल्प वनवासी कल्याण आश्रम भी आदिवासी समाज में जाति-पाति को दूर रखकर हिदू भावना को जागृति करने के लिए काम करता है। इस क्षेत्र पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बभनी एक ऐसा स्थान है जिसके दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूरब में झारखंड और पश्चिम में मध्य प्रदेश जुड़ा है। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ का सरगुजा, बलरामपुर, एमपी का बैढ़न और सीधी, झारखंड का गढ़वा, पलामू, लातेहार और 40 किलोमीटर दूर स्थित बिहार का भभुआ जनपद पूरी तरह से आदिवासी बाहुल्य है। इस इलाके में करीब 60 लाख आबादी आदिवासी समाज से है। निश्चित रूप से वनवासी समाज के लोगों के लिए यह समागम विकास की नई बयार लेकर आएगा। यह जहां लोगों में आशा की किरण जगाया है, वहीं यहां से राष्ट्रपति का दिया संदेश दूर तलक जाएगा।

Reported by Sharad Somani