रेलवे कर्मचारी खंडहर में रहने को मजबूर

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लखनऊ(जनमत):- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंग्रेजो के समय में बने उत्तर रेलवे की 9 कॉलोनियों के लाखों मकान अब जर्जर अवथा में बदल गए हैं। जिसका खामियाजा कही न कही रेलवे के कर्मचारीयो को भुगतना पड़ सकता है। आप को बता दे की ‘इंजिनियरिंग विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार किया है उस के हिसाब से, ऐसे मकानों की संख्या लगभग 1500 तक पहुंच गई है जिसे देखते हुए रेलवे ने इन्हें तोड़ने का फैसला किया है, जब की इनमें आधे मकानों में गैरकानूनी तहर से लोग रह रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, रेलवे जिन मकानों को जर्जर घोषित करता है, उन मकानों में रेलवे कर्मचारीयों की मिलीभगत  से दूसरी लोगो को किराया पर दे कर बसा दिया जाता है। और उन से किराया वसूल जाता है| रेलवे ने एलडी कॉलोनी, हैदर कैनाल कॉलोनी, भिलावां कॉलोनी, शांति पुरम कॉलोनी, सीपीएस कॉलोनी, पंजाब नगर कॉलोनी, बरहा कॉलोनी, फतेह अली कॉलोनी और मवैया स्थित आर0पी0एफ कॉलोनी में लगभग 1500 मकानों को जर्जर बताया गया हैं।

उत्तर रेलवे ने एक टीम बना कर ऐसे 64 लोगों से रेलवे के मकानों को खाली करवाए है। रेलवे के अफसरों के मुताबिक, जॉइंट प्रोसिजर ऑर्डर के जरिए कमिटी ने लगभग 1500 मकानों को जर्जर श्रेणी में चिह्नित किया है। वही वरिष्ठ मंडल अधीक्षण अभियंता (समन्वय) ने भी इस पर मुहर लगा दी है और इस के खिलाफ जल्द से जल्द अभियान चलाया जाएगा। इन मकानों को खाली करवाना चुनौतीपूर्ण है। सूत्रों की मानें तो आवंटी रेलकर्मियों से भी जर्जर माकन खाली करवाया जायेगा ।

रेलवे को इन मकानों को खली करने से पहले उन्हें दुसरे मकानों मै सिफ्ट करने का विकल्प देना पड़ेगा, लेकिन रेलवे के पास सरप्लसमकान नहीं हैं। ऐसे में रेलवे को ऐसे कर्मियों को निजी मकान का विकल्प देना पड़ेगा। सूत्रों की मानें तो ऐसे मकानों को तोड़ने के आदेश भी कुछ वर्ष पहले दिया जा चूका हैं, पर उस के बावजूद भी समय से कार्रवाई न होने से किरायेदारी का धंधा फल-फूल रहा है।

Posted By:- Amitabh Chaubey