आखिर कब तक लड़ेगी “आधी-आबादी” अपने हक की लड़ाई….

JANMAT VICHAR

हमारा देश भारत…जिसने धरती के साथ ही चांद तक अपनी पहूच बनायी और उससे बढ़कर मंगल ग्रह तक  अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रहा है, हमने पृथ्वी से लेकर मंगल ग्रह तक अपनी योग्यता और सफलता के झंडे गाड़े है, जिसे पूरे विश्व ने टकटकी लगाकर देखा और सराहा भी परन्तु  इस कामयाबी के पीछे एक ऐसा पहलु भी है, जो हमें सोचने पर विवश कर देता है, जो सवाल खड़ा करता है कि  क्या हमने अपने देश कि आधी-आबादी का अर्थात महिलाओं को सामाजिक स्तर को बढ़ाने एवं ऊपर उठाने के लिये क्या गंभीर कदम उठाया है? यह प्रश्न अत्यन्त महत्वपूर्ण है, जो कि  आज एक ज्वलंत मुद्दा भी है, शिक्षा के बिना महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गतिशील नहीं बनाया जा सकता, इस विषय में शिक्षा एवं  समानता के बिना एक विकसित समाज की अवधारना मात्र एक कोरी कल्पना सी ही प्रतीत होती है।

इस विषय की गंभीरता को देखते हुये हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी बेटी बढ़ाओं बेटी पढाओं योजना को प्रस्तुत किया है। जिससे महिलाओं को शिक्षित करने में सहायता मिलेगी।इसके माध्यम से एक-एक करके पूरे समाज को भी शिक्षित बनाया जा सकता हैं । चूंकि एक महिला से मात्र एक को नहीं बल्कि आने वाली पूरी पीढ़ी को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।  महिलाओं के  सामाजिक एवं आर्थिक स्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि समाज में महिलाओं को आज भी पर्दे के पीछे की एक चीज के रुप में पेश किया जाता है, जैसे स्त्री होना ही कोई पाप है, आखिर क्यों? चूंकि महिलायें अपने हक की आवाज़ उठाने में हिचकिचाती है, इस पुरुष प्रधान समाज से डरती है, यहां तक कि उन्हें अपने अधिकारों के बारे में भी जानकारी मिल ही नहीं पाती है, महिलायें बचपन से लेकर युवा अवस्था तक हर प्रकार से  हर मामले में समझौता करती है, वो स्त्री जो इस देश के विकास में पूरा योगदान दे सकती है उसे हम देश के विकास में भागीदार आखिर क्यों नहीं बना पा रहें है। जब तक महिला सशक्त नहीं होगी वह अपने अधिकारों के प्रति सजग भी नहीं हो सकती है।

महिलाओं के अधिकार बनाने से आखिर क्या महत्व जब तक उन्हें वास्तविकता न प्रदान की जाये।  प्रत्येक महिला को समानता का अधिकार प्रदान किया जाना, पुरुषो की हीन भावना का शिकार न बन पाये इसलिये शिक्षा के अस्त्र से समाज कि प्रत्येक महिला  को  सुसज्जित करना है। महिलाओं के लिए संविधान मंें लिखे कानूनों का क्या अर्थ है, जो तर्कसंगत न हो पाये, जो लागू ही न हो । हमारे समाज की बेटियां ही हमारे समाज की एवं देश की एक मजबूत नींव प्रदान करने में सक्षम है, यदि हम नींव को ही कमजोर रखेंगें, तो आधारहीन  निर्माण को हम जितना भी मजबूत कर  ले परन्तु आधारहीन नींव विकसित मकान और अशिक्षित महिला एक विकसित समाज की स्थापना नहीं कर सकतें है।

बड़ी-बड़ी बातों की शुरुवात एक छोटी सी पहल से होती है। एक कदम ही संघर्षशील रास्तो को काटने के लिये पर्याप्त होता है। शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार, स्वतंत्र जीवनशैली के लिये सक्षम करना महिलाओं को प्राप्त अधिकार है। जो मिलना ही चाहिये, इस कारण प्रत्येक महिला को शिक्षित करना परमावश्यक है, अन्यथा हम इस देश को विकसित तो कर ही लेंगें परन्तु अपने समाज की नींव को खोखला पायेंगे, जो अधिक समय तक नहीं चल पायेगी।

हमारे देश में शायद आज तक की सबसे बढ़ी कमी यही है कि हम कानून तो जनकल्याणकारी बनाते है, तर्कसंगत बनाते है जिसके लागू होने से देश की स्थिति महिलाओं की भागीदारी में भी परिवर्तन हो सकतें है परन्तु जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण कानून लागू नहीं होने से कानून एवं अधिकार का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। हर प्रकार की स्थिति से लड़ने  के लिये एवं स्व-सक्षम बनने के लिये महिलाओ के समीप  शिक्षा की पहंूच, दूसरो पर निर्भरता को समाप्त करना एवं दैनिक जीवनशैली  को सुगम बनाने की आवश्यकता है, महिलाओं को आज भी समाज में वहीं पुराने ढर्रे पर चलने पर विवष होना पड़ता है। परन्तु आज के युग में यदि महिलाओं के विकास में पुरानी सोच को प्रस्तुत करेंगे तो कहीं न कहीं हम   महिलाओं को उनके पूर्ण, स्वतंत्र एवं तार्किक अधिकारों को प्रदान करने में असमर्थ हो जायेंगे। समानता, आत्मनिर्भरता को पूर्णरुप से प्रदान करने से ही महिलाओं की स्थितियों में अमूल चूल परिवर्तन हो सकतें  है।

आज की महिला समाज को सम्पूर्ण विकसित करने में पूर्णरुप से आत्मनिर्भर बन सकती है, हर संबंध को पूरी चेष्टा से निभाने वाली महिलायें देश के विकास में एक मजबूत दिशा प्रदान कर सकती है। इस पुरुष प्रधान समाज को महिलओं के मार्गदर्शन में कार्य करने में यदि किसी प्रकार की समस्या न हो तो महिलाये इस देश को एक ऐसी स्वर्णिम स्थिति में ले जाने में सहायक है, जिसकी कल्पना हम वर्तमान स्थिति में शायद ही कर सके। देश की इस आधी-आबादी पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जो देश और समाज को एक नई दिशा दे सकती है।

अंकुश पाल 

janmatankush@gmail.com