“वैलेंटाइन डे” यूँ ही नहीं है ख़ास…

JANMAT VICHAR

जनमत विचार : कुछ तो ख़ास है इस “इश्क-ए-जूनून” में ज़रूर… जो मिटता नहीं इसका फितूर … प्यार और तारिख … अगर इन्हें जोड़ा जाए तो गुलाबी ठण्ड के बीच एक खुशनुमा माहौल बनता है…. जी हाँ! कुछ तारीखें खास होतीं हैं, तो वहीँ कुछ तारीखों में मोहोबत्त की मिठास होती है. ऐसी ही खासियत से जुडी है 14 फरवरी,  इस दिन को जहाँ पूरी दुनिया बड़े जोर – शोर के साथ  मनाती है. वहीँ  हमारे देश के लोग भी इस तारिख को  भूलकर भी नहीं भूल पातें है. वैलेंटाइन डे पर जहाँ पश्चिम देशो में ख़ास आयोजन किये जातें हैं, वहीँ दूसरी ओर प्रेमियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है, दुनियाभर के प्रेमी जोड़े इस दिन बड़ी बेसब्री के साथ इंतज़ार करतें हैं. आपको बता दे वैलेंटाइन डे के पहले वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है, जो की 7 फरवरी से 14 फरवरी तक मनाया जाता है. वहीँ इन सातों दिन के लिए  सेलिब्रेशन के अलग अलग तरीके भी हैं और हर दिन का अपना एक मतलब भी होता हैं.

वहीँ हमारे  जेहन में एक सवाल भी उठता है की आखिर वैलेंटाइन डे मनाया क्यों जाता है? इसके पीछे कारण क्या हैं? और इसकी शुरुवात आखिर कब से हुई हैं. इसकी शुरुवात आज से कई सौ साल पहले हुई, रोम में 15 फरवरी को लुप्केर्लिया नाम से एक त्यौहार मनाया जाता था, यह त्यौहार भगवान् लुप्कर्लिया को समर्पित था. बताया जाता की लुप्केर्लिया खेती के देवता थें. इस त्यौहार को 13-15 फरवरी तक मनाया जाता है. उस समय इस त्यौहार में जानवरों की बलि दी जाती थी और उनकी चमड़ी को खून में मिला दिया जाता था. उनकी इसी खाल से लोगो को आशीर्वाद देने का भयानक प्रचलन भी था.

इसी दौरान लोग एक दुसरे के नाम की लाटरी भी निकलते थे और बाद में शादी के बंधन में बंध जातें थे. वहीँ वैलेंटाइन डे नाम के एक कथोलिक पादरी सेंत वैलेंटाइन के नाम पर रखा गया जो की रोम में ही रहतें थें.  वहीँ उस समय रोम में एक अहंकारी राजा क्लौडिउस का शासन था जो अपनी सेना को बढाना चाहता था, लेकिन जिन लोगो का परिवार और बच्चें होतें थे वे सेना में नहीं जातें थे, इसी बात को देखते हुए राजा ने सभी शादियों पर रोक लगा दी. हालाँकि ये बात वहां निवास कर रहें लोगो को बिलकुल रास नहीं आयी जिनमे संत वैलेंटाइन भी शामिल थे.

वहीँ एक बार एक प्रेमी जोड़ा उनके पास शादी करने का प्रस्ताव लेकर आया, जिसके लिए वो तैयार हो गएँ और  एक छुपी हुई जगह पर ले जाकर पादरी वैलेंटाइन ने उनकी शादी करवा दी.वहीँ जब इस बात की जानकारी तानशाह शासक को हुई तो उसने वैलेंटाइन को कैद कर लिया और उन्हें इस जुर्म के लिए मौत की सजा सुनवाई.  वहीँ संत वैलेंटाइन को जेल में लोग मिलने जातें थे और उनके लिए तोहफे भी लेकर जाते थे लोग उन्हें बताना चाहते थे की वो उनसे बे इन्तेहा प्यार करतें है और उनका फैसला बिलकुल सही था. जिसके बाद 14 फरवरी वर्ष 269 AD को संत वैलेंटाइन को मौत की सजा दे दी गयी.

वहीँ इसी के बाद से ही लोग संत वैलेंटाइन की याद में वैलेंटाइन डे को हर साल 14 फरवरी के दिन खुसी और प्यार की कुर्बानी के लिए और मोहोबत्त के लिए अपनी जान कुर्बान कर देने वाले संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाने लगा और आज तक यह परंपरा चली आ रही है. हम वैलेंटाइन डे संत वैलेंटाइन के सम्मान में मानतें हैं.

इसी के साथ ही वैलेंटाइन डे के दिन प्यार करने वाले प्रेमी एक दुसरे को खूबसूरत तोहफें देतें हैं, प्यार से लिखे ख़त भी भेजतें हैं एक दुसरे को विश करते ही वैलेंटाइन डे मानतें हैं. वहीँ ऐसा नहीं है की केवल प्रेमियों के लिए ही यह दिन ख़ास होता है बल्कि दोस्तों के लिए भी यह दिन ख़ास होता है और ऐसी बात आम है की प्रेमी इस दिन अपनी प्रेमिका से अगर प्यार का इज़हार करता है तो प्रेमिका अगर प्रेमी से प्यार करती है तो वो उससे न नहीं कह सकती.

हालाँकि भले ही दुनिया ऐटम बम के ढेर पर बैठी हो और एक देश दुसरे देश को हथियाने का प्रयास कर रहा हो  और तीसरे विश्व युद्ध की परिकल्पना की जा रही  हो उसके बाद भी अगर एक दिन “प्यार” के नाम  पर दुनिया मना रही हो तो इस बात का अंदाजा आम तौर पर लगया जा सकता है की तूफ़ान में भी प्यार का दिया जलता ही है  … इसलिए कहा गया है की ….  !!! लाख लगा ले दुनिया पहरे लेकिन “इश्क” और “मुश्क” छुपायें नहीं छुपते… अगर चल रही हों खामोश साँसे तो बस समझ लेना की “इश्क” अभी जिंदा है…

…अंकुश पाल …

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