चाहे लाख करो तुम पूजा या तीर्थ करो हजार, अगर माँ को रुलाया तो सब कुछ है बेकार…!!

JANMAT VICHAR

जनमत विचार(जनमत): माँ ममता और वात्सल्य की मूरत है एक बच्चे की सबसे पहली दुनिया “माँ” का आंचल ही होती है उसकी गोद में बैठकर वह दुनिया के नए रंग देखता है|माँ ही पहला गुरुकुल और पहला गुरु होती है और एक बच्चा सबसे पहला शब्द भी माँ ही कहता है. माँ हमारी जीवन भर देखभाल करती है उसी की अच्छी परवरिश के कारण हम अच्छे इंसान बन पाते है| हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए लेकिन माँ के लिए हमेशा बच्चे ही रहते है वह हर समय हमारी चिंता करती है और हमे सही राह दिखाती है|

प्रति माँ में भगवान होया ना हो,
लेकिन प्रति माँ में भगवान जरुर होते है…!!

माँ ईश्वर का दूसरा रूप है क्योंकि ईश्वर सभी जगह हमारी सहायता के लिए नहीं हो सकते इसीलिए उसने माँ को बनाया है माँ की ममता , प्यार और स्नेह को प्राप्त करने के लिए तो ईश्वर भी धरती पर जन्म लेता है | माँ से बड़ा दयालु और परोपकारी आज तक कोई नहीं हो पाया है और ना हो पाएगा |
माँ की व्याख्या करने की ताकत किसी भी कलम में नहीं है क्योंकि माँ को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है फिर भी मैं माँ के ऊपर आज कुछ रहा हूं |

चाहे लाख करो तुम पूजा या तीर्थ करो हजार,
अगर माँ को रुलाया तो सब कुछ है बेकार…!!

माँ उस जल के समान है जो निरंतर बहता रहता है और दुनिया को जीवन देता रहता है मां उस अटल पहाड़ की तरह है जब मुसीबत आती है तो वह पहाड़ की तरह मजबूती से खड़ी रहती है|
मां नदी के समान है जो निरंतर निर्मल और परोपकार की भावना रखते हुए बहती रहती है| माँ तपती धरती के समान है जो खुद त्याग करके अपने बच्चों की परवरिश करती है. माँ में तो पूरा ब्रह्मांड समाया है क्योंकि उसके बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है|

जिन्दगी देने वाली “माँ”
जिन्दगी की पहली गुरु “माँ”
जिन्दगी की पहली मित्र “माँ”
जिन्दगी भी “माँ” क्योंकि जिन्दगी देने वाली “माँ”

माँ ईश्वर का सबसे अनमोल उपहार है जिसे मिलता है उसके जीवन से दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां ही खुशियां भर जाती है| वह जीवन की अंतिम पल तक हमारा साथ नहीं छोड़ती है भले ही हमने क्यों न उसका साथ छोड़ दिया हो|

माँ सर पर जो हाथ फेरे तो हिमत मिलजाए
माँ एक बार मुस्करा दे तो जन्नत मिल जाये…!!

माँ का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि उसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं हो पाता वही हमें इस दुनिया में लेकर आती है| हमारे जन्म के समय उसे असहनीय पीड़ा महसूस होती है लेकिन फिर भी वह हमारे लिए पीड़ा को सहन करके हमें जीवन प्रदान करती है|
माँ के जितना त्यागी, साहसी, धैर्यवान, निडर, तपस्वी, परोपकारी, जीवनदायी कोई नहीं हो सकता है. माँ ईश्वर का ही दूसरा स्वरूप है जिसने हमें पृथ्वी पर जीवन दिया है|

“माँ तेरे दूध का कर्ज मुझसे कभी अदा न होंगा ,
अगर कभी रही तू नाराज तो खुश मुझसे वो खुदा भी न होंगा |”

Ambuj mishara
ambujkumar09@gmail.com