फूड हिस्ट्री -‘गुस्से’ की वजह से दुनिया में आए आलू के चिप्स

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हेल्थ (जनमत). एक शेफ का सामना भांति-भांति के कस्टमर्स से होता रहता है। इनमें से कुछ वाकई बहुत सज्जन होते हैं तो कुछ बड़े ही विचित्र टाइप के। इन्हें सनकी या सिरफिरा भी कहा जा सकता है। एक शेफ या रेस्टोरेंट के संचालक के लिए ऐसे सिरफिरे कस्टमर्स से निपटना टेढ़ा काम होता है। शेफ हरपाल सिंह सोखी आज एक ऐसे ही सिरफिरे कस्टमर की कहानी बता रहे हैं जो दुनिया के सबसे बड़े फूड इन्वेंशन की वजह बना।

200 साल पहले ही प्रकाशित हो चुकी थी चिप्स की रेसिपी

  1. बात 24 अगस्त 1853 की है। न्यूयॉर्क के छोटे-से शहर साराटोगा स्प्रिंग स्थित मून लेक लॉज रिजॉर्ट के शेफ जॉर्ज क्रूम की एक सिरफिरे कस्टमर से मुलाकात हुई। इस कस्टमर का नाम था कॉर्नेलियस वैनडेरबिट जो अपने समय के एक बड़े बिजनेस टाइकून थे। उन्होंने फ्रेंच फ्राइज का ऑर्डर दिया। उस समय फ्रेंच फ्राइज पूरे अमेरिका में काफी पॉपुलर हुआ करती थी।

  2. शेफ जॉर्ज क्रूम ने जब फ्रेंच फ्राइज सर्व की तो कॉर्नेलियस ने यह कहकर वापस कर दी कि वह बड़ी ही मोटी और मुलायम हैं। साल्टेड भी नहीं है। शेफ जॉर्ज ने फिर से फ्रेंच फ्राइज तैयार की और कॉर्नेलियस की टेबल पर भिजवाई। लेकिन इस बार फिर वही शिकायत। ऐसा कम से कम पांच बार और हुआ। शेफ जॉर्ज का बिफरना लाज़मी था।

  3. अब उन्होंने भी ऐसे सनकी कस्टमर को मजा चखाने का फैसला किया। उन्होंने एक आलू लिया। उसकी पूरी गोलाई में इतनी महीन चिप्स काटी कि उन्हें कांटे (फोर्क) से खाना संभव न हो। गुस्से में उन्होंने उसे फ्राई भी कुछ ज्यादा ही कर दिया। नमक भी तेज कर दिया।

  4. जॉर्ज की पूरी तैयारी तो यह थी कि उस ‘अवांछित’ चीज को खाते ही कॉर्नेलियस सीधे बाहर का रास्ता नाप लें। पर हुआ उलटा। कॉर्नेलियस ने जैसे ही वह गोलाईनुमा फ्रेंच फ्राइज खाई, उनके मुंह के शब्द फूट पड़े, ‘वाह! यह कैसे किया?’ शेफ जॉर्ज को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे एक नई डिश का आविष्कार कर चुके हैं। यह डिश बाद में पोटेटो चिप्स (आलू के चिप्स) के नाम से दुनियाभर में लोकप्रिय हुई।

  5. 1950 के दशक तक पेपर के पैकेट्स में साल्टेड चिप्स बिकती रही। फिर आयरिश पोटेटो चिप्स कंपनी ‘टायटो क्रिस्प्स’ के मालिक स्पूड मर्फी फ्लैवर चिप्स बनाने की टेकनीक लेकर आए। उन्होंने दुनिया की पहली फ्लेवर चिप्स ‘चीज़ एंड ऑनियन’ प्रोड्यूस की। इसके तुरंत बाद ‘साल्ट एंड विनेगर’ को बाजार में उतारा। बाद में तो फिर कई फ्लेवर में चिप्स बनाई जाने लगी।

  6. आलू के चिप्स को ईजाद करने और उसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय भले ही शेफ जॉर्ज क्रूम को जाता है, लेकिन इसकी रेसिपी काफी पहले ही 1817 में ब्रिटिश कुक विलियम किचनेर की कुकरी बुक ‘द कुक्स ऑरेकल’ में प्रकाशित हो चुकी थी।
  7. इसकी रेसिपी इस तरह से दी गई थी : “बड़े आकार के आलू लेकर उन्हें अच्छी तरह से छील लीजिए। फिर इन्हें बीच में से नींबू की तरह काट लीजिए। अब इनकी पतली-पतली गोल-गोल स्लाइस कर लीजिए। अब उन्हें एक सूखे कपड़े में सुखा लीजिए। इन्हें तेल में तब तक फ्राई कीजिए जब तक कि वे क्रिस्पी नहीं हो जातीं। उन्हें छलनी से तेल से बाहर निकाल लीजिए। एक प्लेट में रखकर उन पर नमक छिड़क लीजिए।’ इस तरह करीब 200 साल पहले ही विलियम किचनेर हमें सिखा गए थे कि चिप्स कैसे बनानी है।

 

Posted By: Priyamvada M