असहाय बुजुर्ग का वृद्ध आश्रम बना “सहारा”… 

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अलीगढ़   (जनमत)  :-  कहते हैं जब बुढ़ापे में लोग अपने बुजुर्गों का साथ छोड़ दे तो कोई ना कोई ऊपर वाले का दूत बनकर उस बुजुर्ग के बुढ़ापे की लाठी बनकर उसका सहारा बन जाता है। ऐसा ही एक नजारा उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के थाना बन्नादेवी इलाके के जिला मलखान सिंह अस्पताल के गेट पर देखने को मिला। जहां एक बुजुर्ग बुढ़ापे में अपनों के होते हुए भी अपनों से दूर दर-दर की ठोकरें खाता हुआ अस्पताल के गेट पर भूखा प्यासा मुफलिसी की जिंदगी जी रहा हैं। जहां लोगों की नजर अस्पताल गेट पर कई दिन से भूखे प्यासे और कपड़ों में मल मूत्र निकले पड़े बुजुर्ग पर पड़ी। तो इसकी सूचना सियाराम वृद्ध आश्रम के लोगों को दी। सूचना पर वृद्ध आश्रम के लोग मौके पर पहुंचे और अस्पताल के गेट पर बदहाली की हालत में पड़े बुजुर्ग को गले लगाया।

जिसके बाद सियाराम वृद्ध आश्रम के लोगों की असहाय बुजुर्ग के प्रति सराहनीय पहल देखने को मिली। उन्होंने बुजुर्ग के गंदे पड़े हाथ पैरों को पानी से धोया और कपड़ों में मल मूत्र निकलने के बावजूद उसके मल मूत्र को अपने हाथ से साफ किया। सियाराम वृद्धाश्रम के लोगों द्वारा गुमनाम बेसहारा बुजुर्ग के साथ किए गए इस सराहनीय पहल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वही आपको बता दें कि बुजुर्ग के गले में मिले एक लॉकेट को खोल कर देखा तो उसमें एक कागज के टुकड़े पर बाबूलाल और मानिक चौक लिखा हुआ था।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के थाना बन्नादेवी इलाके के बरौला बाईपास संगम विहार स्थित सियाराम वृद्ध आश्रम के संचालक सत्यदेव शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि रविवार की दोपहर उन्हें फोन पर किसी के द्वारा सूचना दी गई कि जिला मलखान सिंह अस्पताल के गेट पर एक बुजुर्ग बदहाली ओर दयनीय हालत में लाचार पड़े है। सूचना मिलते ही वह मलखान सिंह अस्पताल के गेट पर पहुंचे। तो बुजुर्ग की लैट्रिंग कपड़ों में निकली हुई पड़ी थी और वह बुजुर्ग बदहाल हालत में पूरी तरह से गंदे में पड़े थे। उन्होंने तुरंत उस बुजुर्ग के मल मूत्र को अपने हाथों से साफ किया और हाथ पैरों को पानी से धोते हुए स्नान कराया।

जिसके बाद बुजुर्ग को जिला मलखान सिंह अस्पताल के गेट से अपने साथ लेकर वृद्ध आश्रम पहुंचे और नए कपड़े पहना कर खाना खिलाते हुए चारपाई पर लिटाया। उन्होंने कहा कि वह हर किसी बुजुर्ग में अपने मां बाप का साया देखते हैं,ओर हर बुजुर्ग को अपना मां-बाप समझते हैं। इसी के चलते उन्होंने वृद्धाश्रम खोला,ओर कहा कि उनके वृद्धाश्रम में जितने भी बुजुर्ग हैं, वह सब उनके मां-बाप के समान है,ओर आश्रम में सभी बुजुर्गों की सेवा भी अपने मां-बाप समझकर ही करते हैं। इसके साथ ही बताया कि उनको मिले इस बुजुर्ग के परिवार के लोगों का तो उन्हें पता नहीं चला। लेकिन उनके गले में पड़े लॉकेट के अंदर एक कागज का टुकड़ा मिला था। गले में पड़े जिस कागज के टुकड़े पर बाबूलाल मानिक चौक लिखा हुआ था।

REPORT- AJAY KUMAR…. 

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..