योगी सरकार की विकास के दावों को “आईना” दिखाता “मौसौनी प्राथमिक विद्यालय”

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चंदौली (जनमत ) :- सूबे की योगी सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत है और परिषदीय विद्यालय में हरसंभव व्यवस्था देने को कटिबद्ध है । ताकि कान्वेंट स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके पूरे संसाधन मौजूद हो। इसके लिए यूपी सरकार समय-समय पर स्कूल चलो अभियान सहित कई ऐसे कार्यक्रम चलाती है ताकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा स्कूल जा सके । लेकिन गवई राजनीति और सरकारी उदासीनता के कारण जिले का एक विद्यालय ऐसा है जो अपने निर्माण काल से अब तक आने-जाने के लिए मार्ग के लिए तरस रहा है । यही नहीं विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे और शिक्षक बारिश के मौसम में घुटनों तक कीचड़ से हो कर विद्यालय पहुँचते हैं।

 

इस दौरान कई बार शिक्षक और बच्चे घायल भी हो गए और आए दिन कीचड़ में बच्चे गिरते रहते हैं । लेकिन विद्यालय निर्माण के 25 साल बीत जाने के बाद भी विद्यालय के लिए रास्ता मुहैया नहीं हो पाया । यह हाल जिला मुख्यालय से सटे विद्यालय का है जहाँ पर इस विकट परिस्थिति में बच्चों को पढ़ने विद्यालय जाना पड़ता है । सबसे बड़ा खतरा बच्चों को जहरीले जन्तुओं से है । यही नहीं छात्रों के और शिक्षकों को कीचड़ से होकर गुजरने का वीडियो भी सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है।

आपकी टीवी स्क्रीन पर जो नजारा दिख रहा है यह बच्चे खेतों में पानी और कीचड़ के बीच मस्ती नहीं कर रहे हैं बल्कि मजबूरन इनको विद्यालय से छुट्टी होने के बाद इस कीचड़ भरे रास्ते से अपने घर लौटना पड़ रहा है | कीचड़ के बीच से यह बच्चे पठन-पाठन के लिए विद्यालय में आते हैं और छुट्टी होने के बाद इसी रास्ते से घर को लौटते हैं। यह नजारा है जिले के सदर ब्लाक के मसौनी गावँ स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। यहाँ पर 1997 में प्राथमिक विद्यालय का निर्माण तो करा दिया गया लेकिन विद्यालय निर्माण के दौरान इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया कि विद्यालय के लिए सड़क मार्ग कहाँ है और बच्चे हो या शिक्षक हो इस विद्यालय पर कैसे आएंगे – जाएंगे ।

विद्यालय के चारों तरफ ग्रामीणों की जमीनें हैं । जिन्होंने अपने खेतों से रास्ता देने से इनकार कर दिया है। गर्मी और जाड़े में तो बच्चे आराम से खेतों के पगडंडियों से विद्यालय चले जाते हैं। लेकिन बारिश के 3 से 4 महीने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके कई सरकारें आई और गई लेकिन इस विद्यालय को अब तक जाने का रास्ता नहीं मिल पाया। गांव में गवई राजनीति की भेंट यह विद्यालय चढ़ गया और इसका खामियाजा बच्चों और शिक्षकों को उठाना पड़ रहा हैं । जो आए दिन इस कीचड़ में गिरकर घायल हो रहे हैं। लेकिन इनकी इस परेशानी को हल करने वाला कोई नहीं है।

विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षकों का कहना है कि 1997 में विद्यालय निर्माण के बाद से ही रास्ते की व्यवस्था नहीं की गई ।जिसके कारण शिक्षक और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । खुद शिक्षिकाएं कई बार गिरकर चोटिल हो चुकी है। लेकिन बार-बार शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों जिला प्रशासन और ना ही जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस तरफ गया ।
स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि उन्हें कीचड़ के बीच से आना जाना पड़ता है प्रतिदिन उनके कपड़े गंदे हो जाते हैं कई कई बच्चे कीचड़ में गिर जाते हैं उन्हें चोट आ जाती है और उनके पुस्तकें भी खराब हो जाती है अगर रास्ता होता तो आराम से विद्यालय आते जाते ।

ग्रामीणों का कहना है विद्यालय के चारों तरफ कृषि योग्य भूमि है और जिनकी जमीन है वह रास्ता देने को तैयार नहीं है इस कारण बच्चों को इन्हीं कीचड़ भरे गड्ढों से होकर खेतों से होकर पढ़ने जाने को मजबूर होना पड़ता है | इस कीचड़ में गिरकर बच्चे और शिक्षक घायल भी हो चुके हैं। कई अभिभावकों ने इस दुर्घटना के कारण बच्चों का नाम से विद्यालय से कटवा कर कहीं और एडमिशन करा दिया है।

वहीं खण्ड शिक्षा अधिकारी सदर सुरेंद्र सिंह ने बताया के विद्यालय निर्माण के बाद से ही यह परेशानी है अधिकारियों को जब विद्यालय जाना पड़ता तो वह भी विद्यालय नहीं पहुँचे पाते गर्मी का मौसम होता है तो सुविधा होती है लेकिन बारिश में चारों तरफ कीचड़ होता है| जिसके कारण इस कीचड़ के बीच से ही बच्चों को पढ़ने और शिक्षकों को पढ़ाने जाना पड़ता है | हालांकि ग्राम प्रधान से इस संबंध में बात की गई है तो बहुत जल्द आने जाने के मार्ग की व्यवस्था हो जाएगी इसके लिए विद्यालय के आसपास जिनकी भी जमीन है उनसे भी बात की जा रही है बहुत जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।

Reported By – Umesh Singh

Published By- Vishal Mishra