पेट्स रखने का “शौक़” पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है.. 

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लखनऊ (जनमत) :- आज काल के दैनिक जीवंन में जहाँ   स्ट्रेस ने लोगो के जनजीवन में काफी बदलाव किया है वहीँ दूसरी तरफ  पेट्स रखने का चलन भी तेजी से बढ़ा है,   वहीँ पेट्स चाहे कोई भी हो, इनकी मौजूदगी आपको बतौर इंसान कई मायनों में बदल देती है। अगर आपके घर डॉग है, तो आपको घर में एक पॉज़ीटिविटी देखने को मिलेगी।

हालांकि, यह आपके परिवार का हिस्सा होते हैं, जैसे आप अपने मां-बाप, भाई-बहन, पार्टनर या बच्चे का ख्याल रखते हैं, ठीक वैसे ही आपको इनका भी ध्यान रखना होगा। उनकी हेल्थ से लेकर अच्छी डाइट, फिज़ीकल और मेंटल एक्टिविटी और बीमारी तक, आपको हर चीज़ का ख्याल रखना होगा।अगर आपके पास भी डॉग्ज़ हैं या आप नए पेट ओनर हैं तो टिक फीवर के बारे में जानकारी ज़रूर रखनी चाहिए।

टिक फीवर क्या है ??
जैसे मनुष्य डेंगू, चिकनगुनिया और मच्छरों के संक्रमण से फैलने वाली अन्य वेक्टर जनित बीमारियों से प्रभावित होते हैं, उसी तरह कुत्तों में बीमारियों को फैलाने वाले वेक्टर टिक होते हैं।कुत्तों में टिक्स की समस्या आम है। हालांकि, ये कुत्तों में ख़तरनाक संक्रमण फैला सकती है। टिक्स बाहरी परजीवी कीड़े होते हैं, जो आमतौर पर जानवरों को काट लें, तो उन्हें जानलेवा टिक फीवर हो जाता है। सामान्य तौर पर टिक्स से होने वाले संक्रमण कुत्तों से इंसानों में नहीं फैलते।

 

डॉ हेमंत तिवारी के मुताबिक   टिक्स से होने वाले संक्रमण कुत्ते के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर उन्हें संक्रमित करते हैं। ज़्यादातर मामलों में हफ्तेभर में टिक फीवर के लक्षण दिखने लगते हैं।


यह संक्रमण रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसकी वजह से कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे एनिमिया, प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना, क्लॉटिंग डिसऑर्डर। यह संक्रमण लिवर, किडनी और स्प्लीन में भी फैल सकता है।


टिक फीवर के लक्षण –

टिक इंफेक्शन के शुरुआती लक्षणों में कुत्तों में सुस्ती, भूख न लगना, दस्त व उल्टी और बुख़ार देखा जा सकता है। समय पर इलाज न हो तो मसूड़ों, पेशाब या फिर मल से खून आना, त्वचा पर खून के पैच होना जैसे लक्षण दिखते हैं। यह लक्षण दिखने पर फौरन पशु चिकित्सक को दिखाएं। ब्लड टेस्ट के बाद इस बीमारी की पुष्टि की जाती है। आगर समय पर इलज ना हो तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है।

 

टिक फीवर से कैसे करें बचाव

– टिक फीवर आमतौर पर गर्मी और बारिश के मौसम में ज़्यादा होता है। इसलिए इस मौसम में रोज़ाना अपने पेट के शरीर की जांच करें , कहीं टिक्स न हों। खासतौर पर पंजों के बीच, पूंछ, चेहरे के आसपास, कानों के आसपास ज़रूर देखें।

 


इस दौरान डॉ प्रियंका  तिवारी ने जानकारी दी कि   
टिक के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन बहुत सारे विकल्प एक बहुत सारे विकल्प जैसे (स्प्रे, स्पॉट ऑन सॉल्यूशन, टैबलेट, इंजेक्शन , एंटी टिक्स कॉलर) आपको मिल जाएंगे, जिनका आप उपयोग पशु चिकित्सक की सलाह से कर सकते हैं।

>>  डॉग को समय समय पर एंटी टिक शैम्पू से नहलाएं।

 

 

 

PUBLISHED BY:- AMBUJ MISHRA,..