10 साल की बच्ची ने उठाई परिवार के “लालन-पालन” की जिम्मेदारी…

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शाहजहांपुर (जनमत):- कोरोना काल ने कुछ ऐसे दर्द दिए हैं जिन्हें सुनकर और देख कर आपका भी कलेजा पसीज जाएगा। ऐसा ही एक दर्द बयां करने वाली दास्तान शाहजहांपुर में देखने को मिली जहां कोरोना संक्रमण से पिता की मौत के बाद 10 साल की एक बेटी अपनी माँ और बूढ़े दादा-दादी का पेट पालने के लिए इकलौता सहारा है। आर्थिक मदद ना मिलने पर एक मासूम बच्ची सड़क पर कपड़े बेच कर अपनी मां और दादा-दादी का सहारा बनी हैं। 10 साल की बच्ची का जज्बा देखकर अब उसकी मदद के लिए लोगों ने हाथ आगे बढ़ाये हैं। दिखाते हैं एक बच्ची के आंसुओं से जुड़ी खास खबर।

दरअसल इस बच्ची का नाम माही है जिसकी उम्र महज 10 साल है। आप ये सुनकर हैरान रह जाएंगे कि यह बच्ची अपनी मां और दादा-दादी की पालनहार बन गई है। 10 साल की बच्ची माही कभी सिलाई मशीन पर मास्क तैयार करती है, तो कभी सड़क पर बैठकर कपड़े बेंचती है। जिस दिन उसके कपड़े बिक जाते हैं, उस दिन परिवार के खाने का इंतजाम हो जाता है। वरना कई बार ऐसा हुआ है जब इस परिवार को खाना तक नसीब नहीं हुआ। दरअसल थाना सदर बाजार क्षेत्र के खिरनी बाग की रहने वाली माही के पिता प्रदीप सक्सेना की 30 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। माही अपने पापा की सबसे लाडली बेटी थी, जो उसे बहुत प्यार करते थे। कोरोना संक्रमण से पिता की मौत के बाद पड़ोसी और रिश्तेदारों ने इस परिवार से किनारा कर लिया। बच्ची के पिता प्रदीप घर में बनी सिलाई की दुकान पर शर्ट बनाकर बेचते थे। पिता की मौत के बाद जब घर में अनाज खत्म हो गया, तो बेटी ने सड़क पर शर्ट बेचना शुरू किया। जिस दिन कोई कपड़ा बिक जाता जाता उस दिन तो इस घर में रोटी बन जाती वरना पूरा परिवार भूखा ही सो जाता था। पिताजी जिस मशीन से कपड़े सिलते थे, उसे अब 10 साल की बेटी माही ने थाम लिया है। 10 साल की बच्ची अब अपनी कोशिश से मास्क तैयार कर रही है,ताकि घर की रोजी-रोटी चल सके। बच्ची ने अपनी दर्द भरी कहानी आंसुओं से भरी दास्तान सुनाई, तो सुनने वालों की भी आंखों में आंसू आ गए.

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..