अधिकारियों की मिलीभगत से मौरंग के भंडारण में करोड़ों की “चपत”…

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जालौन (जनमत):-  योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस अपना रही है वहीं जालौन में अधिकारियों की मिली भगत से मौरंग के भंडारण में राजस्व को करोड़ों की चपत लगा दो गई । जिले में मौरंग के खंड तीन माह के लिए बंद कर दिए जाते है आम नागरिक या सरकारी कार्य में बाधा न पढ़े इस कारण मौरंग के भंडारण की अनुमति दी जाती है । इसकी अनुमति जिला प्रशासन द्वारा मिलती है अनुमति लेने के पूर्व भंडारण करने वाले व्यक्ति को यह दर्शाना पढ़ता है कि मौरंग किस स्थान पर डंप करेंगे इसके अलावा मौरंग की खरीद कहां से की जाएगी जितनी मौरंग का भंडारण की अनुमति मिली है उतने ही प्रपत्र 11 होने चाहिए जो बिक्री करते समय काम आते है सबसे अहम है कि जिस जिले में भंडारण की अनुमति मिली है उसी जिले के प्रपत्र होना अनिवार्य है जिससे जिले को राजस्व की क्षति न हो जालौन में एक दर्जन भंडारण करने वाले ऐसे ठेकेदार है जो अन्य जिले की प्रपत्र 11 दिखाकर उनको मौरंग के भंडारण की अनुमति दे दी गई जबकि नियमो के मुताबिक जब शासन से प्रदेश के सभी जिलों को अलग अलग राजस्व का टारगेट मिलता है मौरंग में तो प्रत्येक माह का राजस्व का लक्ष्य दिया जाता है जिसको पूर्ण करना जिला खनिज अधिकारी की जिम्मेदारी होती है ऐसे में कैसे राजस्व के लक्ष्य की पूर्ति हो पाएगी जब दूसरे जिले के एक दर्जन भंडारण की अनुमति नियमो के विरुद्ध कर दी गई जिससे राजस्व को तो चुना लगा ही साथ ही जिले के ठेकेदारों के मुकाबले तीन गुना लाभ भी हो रहा है जिले में कुल मौरंग के 46 खंड स्वीकृत हुए थे उनमें कुछ चालू हो नहीं हुए लगभग 24 खंड चालू थे लेकिन भंडारण करने बालो की संख्या में एकाएक भारी इजाफा हुआ और 57 मौरंग के भंडारण की अनुमति जिला प्रशासन ने दे दी ।

जिसमे एक दर्जन ठेकेदार फतेहपुर, कन्नौज,कानपुर देहात, उन्नाव, फर्रुखाबाद आदि जिलों के प्रपत्र उपयोग में लाए जा रहे यह पहली बार हुआ कि दूसरे जिले के प्रपत्रों पर जालौन में भंडारण की अनुमति दे दी गई।हालाकि इसकी जांच की मांग भाजपा के जिला प्रभारी संजीव श्रृंगीरिशी ने जिलाधिकारी से की थी उन्होंने अपने लेटर हेड पर शिकायत में लिखा है कि कई फर्जी प्रपत्र जालौन में चलाए जा रहे है जिसकी जांच की मांग की गई थी उनसे जब बात की तो उन्होंने शिकायत करने से इंकार कर दिया । वहीं जिला खनिज अधिकारी राजेश कुमार सिंह बताने से पूर्व असहज जरूर थे लेकिन बाद में उन्होंने बढ़ी बेबाकी से कहा कि राजस्व की क्षति तो हुई है यदि प्रपत्र 11 जिले से जारी होते तो राजस्व में इजाफा होता उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यदि भंडारण की अनुमति जिले से हो तो मौरंग का उठान भी जालौन के ही किसी खंड से करना अनिवार्य होता है उन्होंने यह बताया कि ई प्रपत्रों के चलते यह व्यवस्था लागू हुई है एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ठेकेदारों को चिन्हित ई प्रपत्रों की जांच करने के उपरांत ही मालूम हो सकता है.

REPORT- SUNIL SHARMA…

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…