बेसहारा बुजुर्गों के लिए पेश की मानवता की “मिसाल”…

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अलीगढ़ (जनमत):- यूपी के अलीगढ़ जिले में 20 साल पहले भोजन छोड़ चुके बिन मां बाप के बच्चे सत्यदेव सिंह द्वारा 3 साल पहले सियाराम वृद्ध आश्रम खोलते हुए ऐसे बेसहारा बुजुर्गों को अपने वृद्ध आश्रम में ठिकाना दिया। जिन बेसहारा बुजुर्गों को उनके ही बच्चों ने बुढ़ापे में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर करते हुए दुत्कार कर घर की दहलीज से बाहर कर दिया। जिसके बाद ऐसे बेसहारा बुजुर्गों के लिए मसीहा बने सत्य देव सिंह ने 3 साल पहले खोले गए वृद्ध आश्रम में रहने का ठिकाना देते हुए मानवता की मिसाल पेश की गई।

आपको बता दें कि मां बाप का बचपन में ही साथ छूटने के बाद खुले आसमान के नीचे अपने छोड़कर जब स्वर्ग सुधार गए तो मासूम सत्यदेव सिंह करोड़ों अरबों की भीड़ में उस दिन अकेला रह गया। धीरे-धीरे दिन बीते ओर सत्यदेव सिंह ने 20 साल पहले भोजन छोड़ देने के बाद एक दिन जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया। जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद सत्यदेव सिंह को अपनी जिंदगी में अपनों के नहीं होने का एहसास हुआ तो अंतरात्मा ने आवाज दी और उन्होंने ऐसे लोगों की सेवा करने के लिए 3 साल पहले अलीगढ़ में नई आबादी संगम विहार कॉलोनी में सियाराम वृद आश्रम खोलते हुए ऐसे बेसहारा बुजुर्गों को अपने वृद्धाश्रम में ठिकाना दिया, जिन बुजुर्गों ने अपने बच्चों को बचपन में उंगली पकड़कर चलना ओर बोलना सिखाया। वही बच्चे जब अपने नन्हे नन्हे पैरों पर चलते हुए बड़े हुए तो उन्हीं बच्चों ने दुत्कार कर अपने ही मां-बाप को उनके ही घर की दहलीज से बाहर कर दिया। बुजुर्ग मां-बाप को घर की दहलीज पर निकालने के बाद जब उनको खुले आसमान के नीचे कोई ठिकाना नहीं मिला तो सत्यदेव सिंह ने ऐसे बुजुर्ग लोगों को अपने वृद्ध आश्रम में खाने पीने की व्यवस्था करते हुए रहने के लिए ठिकाना दिया गया। इस वृद्ध आश्रम में एक दूसरे से अनजान बुजुर्ग आज अपनों के होते हुए अपनों से दूर बेगाने बने हुए अपनी गुमनाम जिंदगी में एक दूसरे के साथ अपनी बातों को साझा करते हुए खुशी के पल बिता रहे हैं।

वहीं पंडित सत्यदेव सिंह ने भगवान का शुक्रिया अदा कर जानकारी देते हुए कहा कि 3 साल पहले उन्होंने ऐसे बुजुर्ग लोगो की सेवा करने के लिए एक वृद्ध आश्रम खोला। जिन बुजुर्गों को उनके बच्चों के द्वारा दुत्कार कर घर से निकाल दिया। जिनको उन्होंने अपने वृद्ध आश्रम में खाने पीने की भरपूर व्यवस्था करते हुए रहने के लिए ठिकाना दिया हैं। जबकि उनके वृद्ध आश्रम में करीब आठ बुजुर्ग महिलाएं व पुरुष शामिल हैं। वही सत्यदेव सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब 20 साल पहले भोजन छोड़ दिया था। वहीं एक रात को 1 पाठ करने के दौरान उनकी अंतरात्मा ने आवाज दी कि उनके द्वारा एक वृद्ध आश्रम खोला जाए। तभी उन्होंने सोचा शायद उन्हें भोजन इसलिए नहीं मिलता कि उनके द्वारा कभी दान नहीं किया गया। वहीं बचपन में ही उसके मां-बाप का साथ छूटने के बाद ऐसे बुजुर्गों की सेवा करने के लिए उन्हें मौका मिला और उन्होंने ऐसे बुजुर्गों को ही अपना मां-बाप मान कर उनके लिए वृद्ध आश्रम खोल दिया। इसके साथ ही सत्यदेव सिंह ने अलीगढ़ की जनता से सहयोग के लिए अपील की है कि उनके द्वारा खोले गए वृद्ध आश्रम के लिए दान पूर्ण किया जाए। जिससे कि उनके व्रत आश्रम में रह कर गुजर बसर कर रहे बेसहारा बुजुर्गों की खाने की व्यवस्था बनी रहे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आगरा के जिला जज के द्वारा उनके वृद्ध आश्रम को पानी की व्यवस्था के लिए आरओ ओर मुख्य विकास अधिकारी अंकित खंडेलवाल के इनवर्टर की सुविधा मुहैया कराई गई है।

REPORT:- AJAY KUMAR…

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL.. .