सरकार ने किया प्लान……टाटा-अडानी के हाथ “रेलवे की कमान”….

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देश विदेश (जनमत):-  देश की सरकार जहाँ विकास की परियोजनाओं को तेज करने का दावा कर रही है वहीँ रेलवे विभाग अब सरकार के फैसलों को लेकर असंतुष्ट नज़र आने लगा है| जिस का मुख्य कारण सरकार के द्वारा रेलवे का निजीकरण है| अब जल्द ही देश  की रेल पटरियों पर अडानी,टाटा और हुंडई समेत कई प्राइवेट कंपनियों  की ट्रेनें दौड़ेंगी । मोदी सरकार भारतीय रेलवे को अब धीरे-धीरे निजी कंपनी को दे रही है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट भाषण में पर्यटक स्थान को आपस में जोड़ने के  लिए निजी ट्रेन का 1 सर्किट बनाने का घोषणा कर दिया है।

जिस के तहत इस  सर्किट पर अब तेजस एक्सप्रेस जैसे निजी कंपनीयो की ट्रेन को चलाने की घोषणा की थी। भारत सरकार चाहती है की वो देश भर के कई सारे मार्ग(100 मार्ग) पर अपनी 150 प्राइवेट ट्रेन चलाये जिस के लिए 2 दर्जन से ज्यादा  कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है। जिस में से कुछ कंपनी अडानी,टाटा और हुंडई है| रेलवे ने अभी जल्द ही देशभर में 100 मार्ग पर  निजी ट्रेन चलाने का विशाल योजना पेश किया है।

इन मार्गो पर चलेगी निजी ट्रेन

देशभर में भारतीय रेलवे 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए 100 मार्गो की एक रेलवे  ने देशभर में 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए 100 रूट की लिस्ट बनाई है। इसे 10 से 12 क्लस्टर में विभाजित किया गया है। इसमें सब से पहले मुंबई से नई दिल्ली, चेन्नई से नई दिल्ली, नई दिल्ली से हावड़ा, शालीमार से पुणे, नई दिल्ली से पटना सहित कुछ  ऐसे भी मार्ग हैं जहां से प्राइवेट ट्रेनें चलाने की योजना बना रहे है। 

इन देशी और विदेशी कंपनियों ने दिखया रुचि

देश भर में रेलवे  ने अभी जल्दी में अपने 100 मार्ग पर ट्रेन चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों को  शामिल करने के लिए योजना प्रस्तुत की है। रेलवे के इस प्रस्ताव  पर कई सारी विदेशी कंपनी और कई सारी देशी कंपनियों ने ट्रेन चलाने में अपनी रुचि दिखाई है। जिन में कुछ विदेशी और देशी कंपनी निम्न है| टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर,अदानी पोर्ट्स एवं एसईजेड, हुंडई रोटेम कंपनी, एलस्टॉम ट्रांसपोर्ट, बॉम्बार्डियर, सिमेंस एजी, मैक्वेरी, हिताची इंडिया एवं साउथ एशिया और एस्सेल ग्रुप सहित दो दर्जन से अधिक कंपनियां शामिल हैं।

इस वर्ष बजट में नई रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए 12,000 करोड़ रुपये और गेज परिवर्तन के लिए 2,250 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वहीं दोहरीकरण के लिए 700 करोड़ रुपये और रोलिंग स्टॉक के लिए 5,786.97 करोड़ एवं सिग्नलऔर दूरसंचार के लिए 1,650 करोड़ रुपये दिए गए हैं। प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए रेलवे की असिस्टेंट संस्था इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (Indian Railway Catering and Tourism Corporation ) भी दौड़ में है। वर्तमान समय में Irctc रेलवे  की खानपान समेत कई चुनें  हुए सेक्टरों में अपनी सर्विसेस दे रही हैं।

इन प्राइवेट ट्रेनों में लगेगी 16 बोगीया

जानकारी के अनुसार  ये प्राइवेट ट्रेन 15 मिनट के अंतराल पर चलाई जायगी। हर प्राइवेट ट्रेन में कम से कम 16 बोगीय होगी । बोगीयों की अधिकतम संख्या संबंधित मार्ग पर चलने वाली सबसे लंबी यात्री ट्रेन से अधिक नहीं होगी। वही इन ट्रेनों की  अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटे होगी।

इन निजी ट्रेनों का किराया निजी कंपनी ही तय करेगी

इन प्राइवेट ट्रेनों का किराया निजी संस्था ही तय करेगी और वही अंतिम और मान्य होगा जिस में किसी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होगा इसके अतिरिक्त संबंधित कंपनियों के पास ही उन ट्रेनों पर वित्तीय अधिकार होने के साथ-साथ ही  संचालन और रखरखाव की भी जिम्मेदारी होगी। आप को बता दे की रेलवे की कुछ कीमती जमीनें अपने खास लोगो को बेच दी गई हैं, या फिर लंबे समय के लिए लीज पर दे दी गई हैं इसी के साथ साथ अब ट्रेनें बेची जा रही हैं।

 

देश और जनता की किसी को कोई भी फिक्र नहीं है, सभी राजनीतिक लोग सिर्फ अपनी-अपनी रियासतें बनाने में लगे हुए हैं। इसके अलावा, जनता के पैसे से रेलवे की जो-जो संपत्तियां बनी हैं, वह चाहे कोच हो, या इंजन हों, या फिर कोच फैक्ट्रियां हों, रेल लाइनें हों, रेलवे स्टेशन हों, स्टाफ हो और रेलवे की जमीन हो, यह सब जनता के टैक्स से बने हैं। इन्हें बिल कुल भी बेचा नहीं जा सकता है और इन्हें बेचना भी नहीं चाहिए।

वही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों और रेलवे क्षेत्र के विषेशज्ञों का कहना है कि देश में जो कुछ चलाया जा रहा है, वह ठीक नहीं है। वही बहुत सारे विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के द्वारा जो निजी करण की योजनाये चलाई जा रही है वो आने वाले दिनों में प्रासंगिकता को ही खत्म कर के रख देगी रेलवे का निजीकरण कभी भी कामयाब नहीं हुआ है।

Posted By:- Amitabh Chaubey